जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी कैंपस

joharcg.com नई दिल्ली: भारत में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कैंपस की स्थापना को लेकर हाल ही में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। यह कदम भारतीय शिक्षा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी विश्वभर में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और शोध के लिए प्रसिद्ध है। इस कैंपस के स्थापित होने से भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा और शोध के अवसर मिलेंगे।

भारत में उच्च शिक्षा का भविष्य

भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित करने की पहल को लेकर सरकार और शैक्षिक संस्थाओं के बीच बातचीत चल रही है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की भारत में स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय छात्रों को वैश्विक मानकों के अनुरूप शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, और देश में शोध और नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

कैंपस की स्थापना के लाभ

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कैंपस की स्थापना से भारतीय छात्रों को न केवल बेहतरीन अकादमिक कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा, बल्कि उन्हें वैश्विक नेटवर्किंग, अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजनाओं, और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मौके भी मिलेंगे। इसके अलावा, यह भारतीय शिक्षा प्रणाली में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और भारतीय विश्वविद्यालयों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलेगा।

शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कैंपस का भारतीय शिक्षा प्रणाली से सहयोग शोध और नवाचार को नई दिशा दे सकता है। जॉन्स हॉपकिंस की विशेषज्ञता और संसाधन भारतीय शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को वैश्विक मानकों के अनुसंधान कार्यों में भाग लेने के अवसर प्रदान करेंगे। यह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने का एक शानदार मौका हो सकता है।

भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की बढ़ती रुचि

भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी विश्वविद्यालयों की रुचि तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में कई नामी विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने कैंपस खोलने पर विचार किया है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी का भारत में कैंपस स्थापित करना इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जो भारतीय छात्रों को वैश्विक शिक्षा का लाभ पहुंचाएगा।

भारत में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के कैंपस की स्थापना से भारतीय शिक्षा क्षेत्र में नया उत्साह और बदलाव आएगा। यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए जरूरी संसाधन और अवसर प्रदान करेगा।

नई दिल्ली 18 नवंबर 2024।  केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज अमेरिका के मैरीलैंड के बाल्टीमोर स्थित जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (जेएचयू) के अध्यक्ष रोनाल्ड जे. डेनियल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। जेएचयू की आंतरिक इकाई, गुप्ता क्लिंस्की इंडिया इंस्टीट्यूट (जीकेआईआई) के अधिकारी भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इसका उद्देश्य अनुसंधान, शिक्षा, नीति और व्यवहार के माध्यम से जेएचयू समुदाय को भारतीय भागीदारों के साथ जोड़ना है। बैठक में उच्चतर शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति; शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) द्वारा संभव हुए परिवर्तनकारी अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे भारत में शिक्षा क्षेत्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। श्री प्रधान ने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ मजबूत साझेदारी बनाने, ज्ञान के वैश्विक आदान-प्रदान में योगदान देने, विशेष रूप से दोहरे और संयुक्त डिग्री कार्यक्रमों, छात्रों और शिक्षकों की दो-तरफा निर्बाध गतिशीलता, डेटा विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भविष्य की तकनीकों जैसे उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान साझेदारी के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की सराहना की।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये सहयोग दोनों देशों के छात्रों के बीच नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की क्षमता बढ़ाएंगे। चर्चा जेएचयू और उच्च शिक्षा के अग्रणी भारतीय संस्थानों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने पर भी केंद्रित थी। प्रतिनिधिमंडल ने भारत में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी कैंपस स्थापित करने पर सक्रिय रूप से चर्चा की।

श्री डेनियल और उनकी टीम की यात्रा भारत-अमेरिका शैक्षिक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालती है। भारत के कई शहरों में यात्रा के हिस्से के रूप में, प्रतिनिधिमंडल विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालय परिसरों का दौरा करेगा और भारत में जेएचयू की गतिविधियों को मजबूत करने के प्रयासों में सरकार के प्रमुख अधिकारियों, शिक्षाविदों और कांसुलर प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेगा।

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