joharcg.com नई दिल्ली: दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री विचार नेतृत्व मंच ‘सागरमंथन’ कल से दिल्ली में शुरू होने जा रहा है। यह मंच समुद्री सुरक्षा, व्यापार, और क्षेत्रीय सहयोग के मामलों पर विचार विमर्श करने के लिए एक प्रमुख अवसर प्रदान करेगा। ‘सागरमंथन’ का उद्देश्य समुद्री क्षेत्रों से जुड़े वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर गहरी चर्चा करना और इस क्षेत्र में नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देना है।
‘सागरमंथन’ का महत्व
‘सागरमंथन’ मंच का आयोजन समुद्री व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक पहलुओं पर विचार विमर्श के लिए किया जाता है। इस कार्यक्रम में सरकारों, शैक्षिक संस्थानों, उद्योग जगत और वैश्विक समुद्री संगठनों के प्रमुख विचारक और नेता एकत्र होंगे। यह प्लेटफ़ॉर्म दक्षिण एशिया में समुद्री विकास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करेगा।
मुख्य चर्चा विषय
‘सागरमंथन’ में प्रमुख चर्चाओं का फोकस समुद्री सुरक्षा, समुद्री परिवहन के विकास, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, और क्षेत्रीय समुद्री सहयोग पर होगा। विशेषज्ञ इस मंच पर समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग, समुद्री व्यापार की चुनौतियों और अवसरों, और समुद्री नीति के प्रभावी कार्यान्वयन पर अपनी राय रखेंगे। यह मंच एक आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेगा, जो भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में सहयोग को नई दिशा देगा।
मंच पर प्रमुख अतिथि और सहभागिता
इस सम्मेलन में भारत के प्रमुख समुद्री विशेषज्ञ, नीति निर्माता, और उद्योग जगत के नेता हिस्सा लेंगे। साथ ही, भारत के पड़ोसी देशों और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। ‘सागरमंथन’ का यह आयोजन समुद्री मुद्दों को लेकर जागरूकता बढ़ाने और देशों के बीच बेहतर समझ स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग
समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां बढ़ रही हैं, और ‘सागरमंथन’ के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए क्षेत्रीय देशों को एकजुट किया जाएगा। इस मंच पर विचार किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में समुद्री आपदाओं से निपटना, मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण, और समुद्री पर्यावरण संरक्षण जैसे विषय शामिल
‘सागरमंथन’ मंच का आयोजन समुद्री क्षेत्र में दक्षिण एशिया के देशों के बीच सहयोग और विचारशील नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्यक्रम न केवल समुद्री सुरक्षा और विकास के मुद्दों को सामने लाएगा, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर समुद्री नीति को नया आकार देने का अवसर भी प्रदान करेगा। ‘सागरमंथन’ का आयोजन भारत के लिए समुद्री रणनीति के क्षेत्र में अपनी भूमिका को और सशक्त करने का अवसर है।
नई दिल्ली 18 नवंबर 2024। दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समुद्री विचार नेतृत्व मंच, सागरमंथन कल से दिल्ली में आरंभ हो रहा है। भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के सहयोग से आयोजित ‘सागरमंथन – द ग्रेट ओशन्स डायलॉग’ के प्रथम संस्करण का उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाना और वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं, व्यापारिक नेताओं, विचारकों और भविष्यद्रष्टाओं को सतत, टिकाऊ और प्रभावी समुद्री क्षेत्र के लिए ज्ञान साझा करने, सीखने और भविष्य की तैयारी तथा सक्षम निर्णय लेने की दिशा में प्रमुख वैश्विक मंच प्रदान करना है।
इस अवसर पर केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सोनोवाल ने कहा कि सागरमंथन समुद्री क्षेत्र में आगामी रुझानों पर गहरी समझ, ज्ञान और अंतर्दृष्टि रखने वाले वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सर्वोत्तम उपलब्ध ज्ञान साझा करने का प्रयास है।
भारत की भूमिका इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण और कई गुना बढ़ गई है, खास तौर पर 2014 के बाद से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में यह सभी को ज्ञान से परिपूर्ण कराने और इसे साझा करने, भविष्य के कार्यक्रम निधारित करने तथा समुद्री क्षेत्र के सामूहिक विकास निर्धारित करने का एक प्रमुख मंच प्रदान करता है। अभी की दुविधापूर्ण स्थिति में अपनी भावी पीढ़ियों के प्रति सतत विकास के प्रयास हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। सागरमंथन में दो दिनों की गहन, ईमानदार और केंद्रित चर्चाओं में हमें प्रचुर ज्ञान प्राप्त होने की आशा है, जो समुद्री अर्थव्यवस्था की विपुल क्षमताओं को पाने की हमारी पहल के बेहतर परिणाम प्राप्त करने में हमारी ज्ञान और बुद्धिमता बढ़ाएगा।
मंत्रालय का लक्ष्य इस प्रथम सम्मलेन को वार्षिक आयोजन में बदलना है जिसमें समुद्री क्षेत्र में प्रेरक विचारों और भारत के हजारों वर्षों के समुद्री ज्ञान को संजोया जाएगा। सागरमंथन के माध्यम से भारत का लक्ष्य समावेशी विकास, दीर्घकालिक प्रचलन और परिस्थिति अनुकूल समुदायों पर महत्वपूर्ण चर्चाओं का नेतृत्व करना है, जिससे एक संपन्न और टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था के लिए साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा मिले।