Arapa River Chhattisgarh
Arapa River Chhattisgarh अरपा नदी का उद्गम पेण्ड्रा पठार की पहाड़ी से हुआ है। यह महानदी की सहायक नदी है। यह बिलासपुर तहसील में प्रवाहित होती है और बरतोरी के निकट ठाकुर देवा नामक स्थान पर शिवनाथ नदी में मिल जाती है। इसकी लम्बाई 147 किलोमीटर है।
देवी, देवताओं की तरह नदियों की अपनी खासियत होती है। प्रकृति की अनुपम कृति, वरदान मानी जाती हैं नदियां। पेड़, पौधों से लेकर जीव, जंतुओं और मानव जीवन के लिए यह संजीवनी है। बगैर पानी के कुछ नहीं हो सकता। भगीरथ ने धरती पर लोगों के कल्याण के लिए गंगा को लाया। अमरकंटक की नर्मदा भगवान शिव के स्वेद से उत्पन्न हुई और हमारी अरपा अन्न उपजाने वाले खेत से निकली। आप समझ सकते हैं कि अरपा जिले भर के लिए साक्षात अन्नपूर्णा से कम नहीं है। अरपा की कहानी दुखांत मोड़ पर पहुंच गई है। उसकी यह दशा उस पर आश्रित आबादी ने की है। बेटा जब अपनी मां की भावनाओं का निरादर करता है, तो वह उसकी वृष्टि छाया से वंचित हो जाता है। यही हालत पेंड्रा से बिलासपुर तथा संगम मंगला पासीद तक आने वाले शहर, गांवों में निवास करने वाले लाखों लोगों की है।
उद्गम का सूखना, जल स्तर का घटना, 49 डिग्री का तापमान, चेक डेम तोरवा के पास अरपा में जमा गंदे पानी के चलते राजकिशोर नगर, तोरवा क्षेत्र के जल स्तर में प्रदूषण घटना मात्र नहीं है। यह हमारी मनमानियों का साइड इफेक्ट है। संकेत है कि हम उन कार्यों पर लगाम लगाएं, जिससे अरपा का उद्गम सूखा, तटवर्ती क्षेत्रों से हरियाली और रेत के साथ जल स्तर नदारद हुआ। शहर में अब नदी पठार बन गई है।
अरपा में घाट की संस्कृति
अरपा में घाट की संस्कृति आबादी, बसाहट की तरह पुरानी है। घाट व्यवस्था सामाजिकतौर पर की जाती थी। पचरीघाट के पास जनकबाई घाट अपनी पुरातन संस्कृति की याद दिलाती है। हालांकि इसके लोकार्पण का पत्थर गायब हो चुका है। वक्त के निर्मम थपेड़ों ने घाट को जीर्ण जीर्ण दशा में पहुंचा दिया है। ब्रितानीराज में इसकी स्थापना शंकर राव बापते, गोविंद राव बापते(अब स्वर्गीय) के परिवार ने की। इसके लोकार्पण पर अरपा तट की साज सज्जा की तस्वीर बापते परिवार के पास वर्षों तक रही। दिनचर्या से लेकर समस्त संस्कारों के दौरान जमाने से यह घाट एक समाज के मिलन स्थल बने रहे। पचरीघाट जूना बिलासपुर की स्थाई पहचान बन चुका है। जिस नदी के घाट लोगों को मिलाने का काम करते रहे हों, उसकी सुरक्षा तो लोग ही करेंगे।
इसलिए सूखी अरपा-
निगम प्रशासन से लेकर ठेकेदार और निजी लाभ के लिए लोगों ने अरपा को पाटने का सिलसिला चला रखा है। जो काम शासन की निगरानी में चल रहा हो और जिस पर कानूनी तरीके से रोक नहीं लगाई जा रही है, तो ऐेसे क्रियाकलापों में शामिल लोगों के खिलाफ सामाजिक, राजनैतिक बहिष्कार का कदम उठाना चाहिए। सीवेज से निकली मिट्टी हो या रोड, बिल्डिंग का मलबा सीधे में अरपा में डाला जाता है। अरपा में अवैध उत्खनन, प्रदूषण बंद कराना चाहिए।
अरपा को बचाने मिलकर काम करेंगे
मेयर किशोर राय का कहना है कि वो शहर और निवासी सौभाग्यशाली होते हैं, जहां नदी बहती है। अरपा शहर के बीच से बहती है। यह हमारे साथ पहचान की तरह जुड़ चुकी है। अरपा के उद्गम तथा तटवर्ती क्षेत्रों में जल स्तर घटने की समस्या से गर्मियों में अरपा सूख जाती है। अरपा में पानी का निरंतर बहाव रखने के लिए वृहद योजना बनाई जानी चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियों को इससे जल तथा शुद्ध पर्यावरण मिलता रहे। पर्यावरणविदों, एक्सपर्ट ने नदी को संरक्षित, सुरक्षित रखने के लिए जो सुझाव दिए हैं, उसका कड़ाई से पालन होना चाहिए।