Caste certificate

Joharcg.com राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में श्री किशोर महानन्द के नेतृत्व में गाड़ा समाज के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की और जाति प्रमाण पत्र बनने में आने वाली कठिनाई के संबंध में अवगत कराया। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमण्डल को कार्यवाही का आश्वासन दिया। श्री महानंद ने बताया कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के आवेदकों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए, सरलीकृत नियमों और प्रक्रियाओं का गंभीरता से पालन हेतु राज्य सरकार ने निर्देश दिए हैं।


    विभाग द्वारा मंत्रालय से प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को इस संबंध में नया परिपत्र जारी किये गये हैं। जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण करते हुए राज्य सरकार ने अधिनियम 2013 और नियम 2013 तथा अलग से परिपत्र जारी किया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने दिशा निर्देशों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि ऐसे आवेदक, जिनके पिता, भाई, बहन को वर्ष 2006 या उसके बाद जाति प्रमाण-पत्र जारी किया गया है, उसके आधार पर आवेदक शपथ-पत्र प्रस्तुत करे दावे की पुष्टि कर सकता है और प्राधिकृत अधिकारी बिना किसी विस्तृत जांच के, आवेदक को सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र (जाति प्रमाण-पत्र) जारी कर सकता है। इस प्रकार जिन आवेदकों के भाई-बहन या परिवार के अन्य सदस्यों के प्रमाण-पत्र वर्ष 2006 के बाद बनाये गये हैं, उसके जाति-प्रमाण पत्र बनाने के लिए न तो दोबारा अभिलेख मांगने की जरूरत है और न ही गहन जांच की। केवल शपथपत्र और परिवार के सदस्यों के जारी जाति-प्रमाण पत्रों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में जाति प्रमाण पत्र बनाने हेतु सक्षम अधिकारियों द्वारा मिसल रिकार्ड, दाखिला खारिज व अन्य दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। इनके अभाव में जाति प्रमाण पत्र आवेदकों, विद्यार्थियों को नहीं दिया जा रहा है।     इस अवसर पर श्री वकील तांडी, श्री श्यामदास कुलदीप, श्री राधेश्याम विभार, श्री दयालुराम, श्री वैष्णो भतरिया भी उपस्थित थे।