कोरोना काल व विपरीत मौसम के बावजूद 12.80 लाख मानक बोरा का संग्रहण, संग्राहको को मिला रोजगार

वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने से संग्राहकों को 300 करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोरोना काल एवं बेमौसम बारिश की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 12.80 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण किया जा चुका है। 12.09 लाख संग्राहकों द्वारा यह तेंदूपत्ता संग्रहण किया गया है, जिन्हें 512 करोड़ रूपये संग्रहण पारिश्रमिक का वितरण किया जाएगा। राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण के यह आंकड़े इसलिए भी उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी एवं खराब तेंदूपत्ता सीजन के कारण पूरे देश में तेंदूपत्ता के संग्रहण में 30-40 प्रतिशत की कमी आई है। छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना काल एवं मौसम की दिक्कत के बावजूद भी संग्राहकों से तेंदूपत्ता एवं अन्य लघु वनोपजों का क्रय कर रही है। इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है एवं आय प्राप्त हो रही है। 

बस्तर संभाग में 4 लाख 24 हजार मानक बोरा का संग्रहण

    इस वर्ष पूरे मई माह में पूरे प्रदेश में विशेषकर बस्तर संभाग में लगातार बारिश होती रही है। वर्तमान में भी यास चक्रवात के कारण प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में वर्षा हो रही है। इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी बस्तर संभाग में 28 मई 2021 की स्थिति में 4,24,118 मानक बोरा का संग्रहण किया जा चुका है जो कि लक्ष्य का 84 प्रतिशत है।

संग्राहकों को नगद भुगतान की स्वीकृति

    कोरोना की स्थिति को देखते हुए पूरे बस्तर संभाग में संग्राहकों को तत्काल पारिश्रमिक की राशि मिल सके, इस हेतु नगद भुगतान की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा प्रदान की गई है। तेंदूपत्ता संग्रहण से बस्तर संभाग में 170 करोड़ रूपये संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है। इसमें से 40 प्रतिशत राशि का भुगतान हो चुका है।
    यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 तेंदूपत्ता सीजन में अत्यधिक बारिश हुई, जिसके कारण भी तेंदूपत्ता संग्रहण प्रभावित हुआ। विपरीत परिस्थितयों के बावजूद भी 389.20 करोड़ रूपये की पारिश्रमिक राशि का वितरण संग्राहकों को किया गया है। कोरोना काल में जहॉ अन्य समस्त गतिविधियॉ लगभग बंद थी। तेंदूपत्ता से 11.76 लाख संग्राहकों को रोजगार प्रदान किया गया। 

लाखों लोगों को मिला रोजगार, लघु वनोपज उपार्जन में देश में प्रथम स्थान

    तेंदूपत्ता के साथ-साथ लघु वनोपज के संग्रहण में भी राज्य सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। ऐसे समय में जब छत्तीसगढ़ राज्य कोरोना महामारी से पिछले एक वर्ष से जूझ रहा है तथा गांव से लेकर शहरों तक गरीबों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, राज्य सरकार ने लघु वनोपज का रिकार्ड उपार्जन करते हुए न केवल देश में प्रथम स्थान पाया है, बल्कि लगभग 6 लाख परिवारों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराया है। 

वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ने से संग्राहकों को 300 करोड़ रू. की अतिरिक्त आय

    राज्य सरकार ने विभिन्न लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य 15 से 30 प्रतिशत बढ़ाया है, जिससे भी संग्राहकों को प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष रूप से 300 करोड़ रूपये से अधिक की अतिरिक्त आय हुई। लघु वनोपज के साथ-साथ अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी एवं रागी का भी छ.ग. राज्य लघु वनोपज के माध्यम से न्यूनतम मूल्य पर क्रय किये जाने का निर्णय लिया गया है। आगामी सीजन में कोदो एवं कुटकी 3000 रू. प्रति क्विंटल की न्यूनतम दर पर क्रय किया जावेगा, इसके साथ ही लाख को भी कृषि का दर्जा देते हुए लगभग 4000 किसानों को ब्याज रहित ऋण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

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