पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के राजीव गांधी किसान न्याय योजना और धान के बकाया टोकन पर 20 मई से तीन दिन राज्य सरकार के द्वारा धान खरीदी के विषय पर दिए गए बयान, किसानों के आगे झुकी भूपेश सरकार पर तीखा पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि किसानों के साथ 15 सालों तक विश्वासघात करने वाली भारतीय जनता पार्टी किसानों के विषय पर बोलने का अधिकार खो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक में साहस हो तो प्रदेश के किसानों को जवाब दें धान पर 21 सौ रूपए समर्थन मूल्य, 300 रु बोनस भाजपा अपने घोषणा पत्र में वायदे के बावजूद किसानों को क्यों नहीं दिये? किसानों के हित चिंतक है तो केंद्र की मोदी सरकार से सवाल पूछे, किसानों की आय दुगनी अब तक क्यों नहीं हुई? स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू क्यों नहीं हुई? प्रधानमंत्री सम्मान योजना की राशि किस्तों में क्यों दी जा रही है ?

पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक में साहस हो तो प्रदेश के किसानों को जवाब दें धान पर 21 सौ रूपए समर्थन मूल्य, 300 रु बोनस भाजपा अपने घोषणा पत्र में वायदे के बावजूद किसानों को क्यों नहीं दिये? किसानों के हित चिंतक है तो केंद्र की मोदी सरकार से सवाल पूछे, किसानों की आय दुगनी अब तक क्यों नहीं हुई? स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू क्यों नहीं हुई? प्रधानमंत्री सम्मान योजना की राशि किस्तों में क्यों दी जा रही है ?


प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार किसानों से किए गए घोषणापत्र के वादों को क्रमश: पूरा कर रही है। वर्तमान आर्थिक संकट के बावजूद राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 19 लाख धान, मक्का, गन्ना किसानों को 5700 करोड़ रुपये सीधे बैंक खातों में जमा करने जा रही है जिससे भारतीय जनता पार्टी और उनके बड़बोले नेताओं को किसानों की आर्थिक उन्नति देखी नहीं जा रही है बेबुनियाद आरोपों के आधार पर अपने विपक्ष के होने का दिखावा करने में लगी है। 15 माह की भूपेश सरकार ने किसानों की आर्थिक उन्नति और उत्थान के लिए अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए जो भाजपा रमन सरकार ने 15 वर्षों में नहीं कर पायी।
प्रदेश कांग्रेस वरिष्ठ प्रवक्ता तिवारी ने कहा कि 15 सालों में 15 सीटों पर सिमटी भाजपा में व्याप्त अंतरकलह से भारतीय जनता पार्टी कई गुटों में बंट चुकी है और उनके नेताओं के बयान एक ही विषय पर अलग-अलग इस बात को चरितार्थ करते हैं।

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