पन्द्रह दिनों तक चलने वाले राजिम माघी पुन्नी मेला, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को पुनर्जीवित करने किया जायेगा याद

गरियाबंद – छत्तीसगढ़ का प्रयाग राज कहे जाने वाले पवित्र त्रिवेणी संगम के तट पर 09 फरवरी से 21 फरवरी तक 15 दिनों तक चलने वाले राजिम माघी पुन्नी मेला-2020 का भव्य समापन आज 21 फरवरी महाशिवरात्रि को शाम 7 बजे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता धर्मस्व तथा लोक निर्माण मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने की। राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। समारोह में महामंडलेश्वर ईश्वरदास जी महाराज-ऋषिकेश, योगीराज स्वामी श्री ज्ञानस्वरूपानंद (अक्रिय) जी महाराज-जोधपुर, महंत श्री रामसुन्दरदास जी महाराज, महंत साध्वी प्रज्ञा भारती जी, महंत जालेश्वर जी महाराज-अयोध्या, महंत गोवर्धन शरण जी महाराज, संत विचार साहेब, नवापारा एवं अन्य विशिष्ट साधु-संतों की गरिमामयी मौजूदगी रही।

    इस अवसर पर राजिम विधायक श्री अमितेश शुक्ल, अभनपुर विधायक श्री धनेन्द्र साहू, सिहावा विधायक डॉ. श्रीमती लक्ष्मी ध्रुव  के विशेष आतिथ्य में एवं पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा, नगर पालिका परिषद् गोबरा नवापारा के अध्यक्ष श्री धनराज मध्यानी और नगर पंचायत राजिम की अध्यक्ष श्रीमती रेखा राजू सोनकर एवं कमिश्नर श्री जी.आर. चुरेन्द्र, कलेक्टर श्री श्याम धावड़े, पुलिस अधिक्षक श्री एम. आर. अहिरे सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण की उपस्थिति रही।

    सभी अतिथियों ने भगवान श्री राजीव लोचन की प्रतिमा में दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना की। इसके पूर्व महानदी की आरती में शामिल होकर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि राजिम कहने से ही रग रग में एक नया भाव उतपन्न हो जाता है। जिस तरह बसन्त ऋतु के आने से प्रकृति में एक नया संचार होता है उसी तरह साधु संतों के आगमन से मन में अनुपम भाव पैदा होता है। इनके आगमन से आत्मिक आनंद मिल जाता है।

    उन्होंने कहा कि राजिम ने अनेक विभूति को जन्म दिया है। राज्य में एक नया विश्वास और अपनापन पैदा हो रहा है। आज राज्य में जो गढ़ा जा रहा है उसमें सबका सहयोग और भागीदारी है। राजिम की महिमा का उन्होंने बखान किया। मिट्टी के बर्तन के उपयोग पर उन्होंने कहा कि मिट्टी को कैसे भूल जाएं। प्रसाशन ने जिस तरह मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया वह सराहनीय है। उन्होंने अमेरिका के अनुभव को भी साझा किया। बताया कि अमेरिका में बसे छत्तीसगढ़ के लोगों के मन मे आज भी यहां की मिट्टी की महक है। श्री महंत ने कहा कि देश के साधु संतों को वृहद स्तर पर राजिम में आमंत्रित किया जाए ताकि पुन्नी मेला की गरिमा और भव्यता और बढे।

    इस अवसर पर धर्मस्व मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पहले केबिनेट की बैठक में ही राज्य की संस्कृति के अनुरुप राजिम कुंभ का नाम बदलकर पुन्नी मेला रखा गया। लोगों के सुझाव से इसे और बेहतर बनाया जाएगा। उन्होंने स्थानीय मेला समिति व प्रशासन को मेला की सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे खुद कार्यक्रम और स्थानीय खेलों का आनंद लिये हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप 25 एकड़ मेला स्थल का चयन किया गया है। आने वाले साल में मेला के किये आधारभूत सरंचना विकसित किया जाएगा और मेला का आयोजन नए स्थल पर होगा।

    राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि पिछले एक साल में सरकार ने अनेक विकास कार्यक्रम किये। इस आयोजन की सफलता के लिए उन्होने बधाई और शुभकामनाएं दी। समारोह में प्रमुख अतिथि महामंडलेश्वर ईश्वरदास जी महाराज ने संबोधित करते हुए मेला क्षेत्र में प्लास्टिक को बंद करने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अगर नीयत और सोच सही हो तो कार्य जरूर सफल होगा। संस्कृति का सरंक्षण, पुनर्जीवन और नरवा, गरवा, घुरवा बॉडी योजना की सराहना क। उन्होंने योजना के चारों घटकों को विस्तार से समझाया। शराबबंदी के लिए भी उन्होंने शासन से आग्रह किया।

    स्थानीय विधायक श्री अमितेश शुक्ल ने मेला की ऐतिहासिक सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने राजिम की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि बिना आडम्बर के मेला का आयोजन सरकार की सोच का परिणाम है। अभनपुर विधायक श्री धनेंद्र साहू ने कहा कि राजिम मध्य भारत का एक मात्र तीर्थ स्थल था आज भी मान्यता है। राजीव लोचन 5वीं शताब्दी से विराजमान है। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद पुनः इसकी गरिमा लौटाने का काम किया गया।

    कलेक्टर श्री श्याम धावड़े ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा 09 फरवरी को माघी पुन्नी मेला के अवसर पर किया गया। मेले में आस्था, आध्यात्म और संस्कृति के संगम के साथ ही विविध सम्मेलनों का आयोजन को स्थान दिया गया। इसमें किसान, आदिवासी, सामूहिक विवाह का सम्मेलन प्रमुख थे। इस तरह इस मेले में समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की गयी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मेले में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया। मेले में छत्तीसगढ़ी खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन प्रतिदिन किया गया। जिसमें 15 प्रकार के खेलों का समावेश किया गया।मेले की साफ-सफाई व्यवस्था हेतु संपूर्ण स्वछता अभियान के 500 से अधिक स्वच्छग्राहियों की टीम तैनात की गई। मेले में प्रतिदिन छत्तीसगढ़ संस्कृति के कलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियां की गई, जिसमें प्रदेश के नामचीन कलाकारों ने प्रस्तुती दिये। मेले में शासकीय विभागों की प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें जन कल्याणकारी योजनाओं का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा चाक-चौबंद व्यवस्था की गयी है। क्षेत्र के 50 महिला कमांडों द्वारा सफाई और सुरक्षा में भी भागीदारी रही। इस वर्ष मेले में लगभग 5 हजार से अधिक साधु-संत और 4 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।