रायपुर – एम्स अस्पताल में कोरोना वार्ड से दूर दूसरे वार्डों में भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। क्योंकि यहां दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर कैंसर, ब्लड कैंसर, किडनी, न्यूरो व अन्य बीमारियों का इलाज कराने आ रहे मरीज जांच में कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं और उनके संपर्क में आकर अस्पताल के डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टाफ आकर संक्रमित हो रहे हैं। इससे इन वार्डों का कामकाज भी प्रभावित होने लगा है। एम्स प्रशासन का कहना है कि कोरोना की कहीं कोई पहचान नहीं है। ऐसे में यहां संक्रमितों की संख्या आगे और बढ़ सकती है। दूसरे वार्डों में मिलने वाले पॉजिटिव को कहीं रोका नहीं जा सकता।
छत्तीसगढ़ में कोरोना के मोर्चे पर पहले दिन से अकेले जूझते आ रहे एम्स की अपनी हालत लड़ते-लड़ते कुछ गड़बड़ाने लगी है। वहां कोरोना वार्ड से परे बाकी वार्डों में भर्ती लोगों में से कोरोना पॉजिटिव निकलने से उन वार्डों का काम प्रभावित हो रहा है। एम्स के जानकार सूत्रों के अनुसार अभी 6 जून को वहां एक डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक बाहरी एजेंसी का उपलब्ध कराया गया व्यक्ति, ऐसे चार लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। ऐसा पता लगा है कि कोरोना वार्ड के अलावा दूसरे वार्डों के मरीजों में कोरोना पॉजिटिव से अब तक 11 लोग संक्रमित हो चुके हैं।
एक जानकारी के अनुसार 31 मई को जनरल सर्जरी में एक मरीज, 3 जून को यूरोलॉजी में 1, 6 जून को डेंटल के 3 वार्डों में 1-1, न्यूरोसर्जरी में 1, यूरोलॉजी में 6 जून को, नेफ्रोलॉजी में 7 जून को एक, यूरोलॉजी में 8 जून को 2, और ऑर्थोपेडिक में 9 जून को 1, इतने भर्ती मरीज पॉजिटिव निकले हैं। कुछ विभाग ऐसे हैं जो कि अब तक किसी भी कोरोनाग्रस्त मरीज से बचे हुए हैं, जैसे मेडिसिन, पीडियाट्रिक सर्जरी आदि। लेकिन आगे यहां से भी संक्रमित सामने आ सकते हैं।
एम्स निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर का कहना है कि उनके अस्पताल में कोरोना मरीजों के संपर्क में आकर 5-6 लोग संक्रमित हुए हैं। बाकी लोग, दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर अलग-अलग बीमारियों का यहां इलाज कराने आए मरीज हैं। इसमें कैंसर, ब्लड कैंसर, किडनी के मरीज शामिल हैं। उनका कहना है कि किसी भी मरीज में इम्युनिटी पॉवर कम होने पर कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। चाहे वह कोई भी मरीज हो। कोरोना पॉजिटिव आने पर संबंधित मरीज को तुरंत कोरोना वार्ड में शिफ्ट करते हैं।
डॉ. नागरकर का कहना है कि कोरोना की रोकथाम के लिए अलग से कोई उपाय नहीं है। उनके यहां भी गाइड लाइन के हिसाब से सब कुछ तय है। क्योंकि यह कहीं कुछ दिखता नहीं है। दूसरे वार्डों में आए मरीज के कोरोनाग्रस्त होने की जानकारी जांच से मिलती है। आने वाले समय में उनके अस्पताल में और भी लोग कोरोना संक्रमित निकल सकते हैं। 11-12 से उनकी संख्या आगे और बढ़ सकती है। डॉक्टर व अन्य स्टाफ भी संक्रमित हो सकते हैं। स्थिति जैसे भी हो, तुरंत इंतजाम करते हैं।

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