रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि प्रदेश के किसानों, मजदूरों और वनवासियों की जेब में पैसा आने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूती होगी बल्कि इससे ग्रामीण और शहरी व्यवसाय में भी बढ़ोतरी होगी। पिछले साल हमने देखा है कि किसानों की ऋण माफी और 2500 क्विंटल में धान खरीदी से देशव्यापी मंदी के बावजूद छत्तीसगढ़ इससे अछूता रहा यह इस साल भी होगा। आज यहां आकाशवाणी से प्रसारित विशेष भेंटवार्ता में कोरोना संकट के दौर में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों, प्रवासी मजदूरों, वनवासियों और ग्रामीणों सहित समाज के सभी वर्गो के हित में उठाए जा रहे कदमों के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुए उपरोक्त बातें कहीं. 

भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिले, उनके साथ न्याय हो इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की है। इस योजना से प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रूपए चार किश्तों में दिया जा रहा है। पहली किश्त 1500 करोड़ रूपए की राशि 21 मई को किसानों के खातों में राजीव गांधी जी की शहादत दिवस पर दी गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पिछले साल किसानों की ऋण माफी और 25 सौ प्रति क्विंटल में धान खरीदी की गई थी, लेकिन भारत सरकार के निर्देशानुसार हमें इस साल समर्थन मूल्य पर ही धान खरीदी करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों की जो स्थिति है वह किसी से छुपी हुई नहीं है और ऐसी स्थिति में उनका हक है कि हम वह राशि उन्हें दे।ऐसी स्थिति में हम लोगों ने राजीव गांधी किसान योजना लागू की और इस योजना के तहत जो धान के साथ-साथ मक्का उत्पादक किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ और गन्ना उत्पादक किसानों को 13 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से कृषि आदान सहायता राशि मुहैया करा रहे है। आने वाले वर्ष में दलहन तिलहन की फसल को भी इस योजना में शामिल करेंगे ताकि किसान अपनी पसंद से कोई भी लगाएं उनकों इसका लाभ मिलें प्रदेश के भूमिहीन किसानों को भी इस योजना में शामिल करने के लिए हमने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभागीय अधिकारियों की कमेटी बना दी गई है जो 2 महीने के भीतर अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करेगी।

लाॅकडाउन के बावजूद भी हमने छत्तीसगढ़ में मनरेगा के काम शुरू किए और अभी लगभग 26 लाख मजदूर मनरेगा में काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ राजीव गांधी किसान योजना के तहत हमने किसानों के खातों में राशि दी है इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के 44 प्रतिशत वनांचल में आदिवासी और परंपरागत निवासी रहते है। जिनकी अर्थव्यवस्था लघु वनोपज पर आधारित है। इस परिस्थिति में भी जब सारी दुकानें बंद है जो लोग लघु वनोपज खरीदते हैं वह काम बंद पड़ा था। ऐसे समय में हमने ग्रामीण स्तर पर स्व सहायता समूहों के माध्यम से महुआ, इमली की खरीदी की शुरुआत की है। महुआ इमली और इसके बाद तेंदूपत्ता के काम को भी हमने रोका नहीं। भारत सरकार ने महुआ का समर्थन मूल्य 17 रूपए तय किया था जब मांग बढ़ी तो छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे 17 से बढ़ाकर 30 रूपए कर दिया इस प्रकार पिछले वर्षों में जितनी आमदनी लोगों को हुई थी उस से बढ़कर आमदनी इस साल हुई। जंगल में रहने वाले हमारे भाई बहन हैं उनकी जेब में 2500 करोड़ रुपए आएगा । मुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ किसान और दूसरी तरफ मजदूर और तीसरी तरफ हमारे आदिवासी जो वनांचल में रहते हैं इन सबकी जेब में पैसा आएगा जब इनकी जेब में पैसा होगा और इनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी तो चाहे वह ग्रामीण व्यवसाय हो चाहे वह शहर के व्यवसाय हो वह बढ़ेगा ही। इसका अनुभव हमने पिछले साल ही कर लिया है। हमने ऋण माफी की और 2500 रूपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी की। पूरे देश में मंदी का दौर रहा लेकिन छत्तीसगढ़ में मंदी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा इस वर्ष भी ऐसा होगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी कभी पलायन नहीं करते थे और जंगल में ही उनकी सारी आवश्यकता पूरी हो जाती थी लेकिन धीरे-धीरे जंगल से आंवला, चिरौंजी और आम के पेड़ काटने लगे और आय के जो स्रोत थे वह घटने लगे। इस साल हमने निर्णय लिया है कि ऐसे पेड़ लगाए जाए जिनसे आदिवासियों को सीधा लाभ मिलें। हम इस साल 70 लाख फलदार पौघे लगाने जा रहे है। जिसमें हर्रा, बहेरा, चिरौंजी, आंवला आदि होंगे जो आदिवासियों की आय के स्रोत बनेंगे। साथ मैंने यह निर्देश भी दिया है कि वन अधिकार का जो पट्टा दिया है वहां इन पेड़ों का लगाएं और इन पेड़ों के बीच में जिमीकांदा-हल्दी आदि जो पेड़ की छाया में भी पैदा हो सकते हैं उन्हें भी लगाए ताकि निरंतर आए मिलती रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में 90 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं वह प्रारंभ हो चुके हैं। अभी ये पूरी क्षमता के साथ वह काम नहीं कर रहे हैं लेकिन समय धीरे-धीरे बीते जा रहा है वैसे वैसे उनकी क्षमता बढ़ती जा रही है। जो व्यवसाय शहरी मजदूरों को रोजगार देते हैं हमारी कोशिश है कि वो जल्दी से जल्दी खुले। बघेल ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए हमने 43 स्पेशल ट्रेन चलाने की सहमति दी है। विभिन्न प्रदेशों आने वाले मजदूरों के 16 हजार 499 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए हैं जिसमें लोगों के रहने, भोजन और स्वास्थ्य जांच आदि की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ 7 राज्यों से घिरा हुआ है। इन राज्यों के अलावा कई अन्य राज्यों के मजदूर छत्तीसगढ़ से होकर गुजर रहे हैं। बड़ी संख्या में मजदूर पैदल आ रहे है जिनके लिए राज्य सरकार भोजन, पानी, स्वास्थ्य जांच के साथ चरणपादुका और उन्हें राज्य की सीमा तक सकुशल पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। हम यह समझते हैं कि ये जो श्रमिक हैं वह किसी भी प्रदेश के हो हमारे मेहमान हैं उनकी बराबर देखभाल हो। मैं सभी भाई बहनों से अपील करना चाहता हूॅ। संकट की इस घड़ी में जो लोग आ रहे हैं वह हमारे अपने हैं, हमारे रिश्तेदार हैं, हमारे भाई-बहन हैं। हमारे गांव के लोग हैं, हमारे शहर के लोग हैं ऐसे में हम लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि उनकी देखभाल करें उनके साथ ऐसा कोई व्यवहार न करें जिससे उन्हें ठेस पहुंचे। साथ ही हमारी गाइडलाइन है उसका भी कड़ाई से पालन होना होना चाहिए उनकी देखरेख भी करें और नियमों का कड़ाई से पालन भी करें । हमारे मजदूर भाई जो दूसरे प्रदेश से आए हैं उनसे भी मैं अपील करना चाहता हूं कि यह संकट के समय में थोड़ा धैर्य और संयम रखें आप अपने गांव पहुंच गए हैं हजारों किलोमीटर चलकर आए हैं अब थोड़े दिन की बात है।

जो कोरोना पॉजिटिव मरीज आए हैं उनके साथ हम लोग को अच्छा व्यवहार करना चाहिए और साथ ही उनके इलाज की व्यवस्था हमें करनी है। मैं समझता हूं कि पहले प्रथम चरण में हम सभी छत्तीसगढ़ के लोगों ने मिलकर काम किया है, संकट आया है इससे हमें घबराने की आवश्यकता नही है। जब हमने प्रथम चरण में बहुत अच्छा काम करके दिखाएं हैं तो द्वितीय चरण में भी अच्छा काम करेंगे कुछ दिन की बात है। यदि आप ठीक ढंग से बचाव कर लिए तो हम करोना को परास्त करने में सफल होंगे।मुख्यमंत्री ने बताया कि बीपीएल परिवारों के राशनकार्डधारियों को जून माह का भी चावल भी निशुल्क मिलेगा। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें भी प्रति व्यक्ति के मान से 5 किलो चावल मिलेगा। जिनके पास जॉब कार्ड मनरेगा का नहीं है उसको भी हम तत्काल जॉब कार्ड बना कर देंगे ताकि उन्हें मनरेगा में काम मिल सके । यहां के उद्योग के श्रमिक बाहर गए है बाहर से श्रमिक यहां आएं है उद्योग को इन श्रमिकों को एडजस्ट करना चाहिए और उनकों अवसर देना चाहिए। हम मनरेगा के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर रहे है जिससे मजदूरों को रोजगार मुहैया हो सकेगा। हमारी कोशिश है कि सब को रोजगार दे सके। हमने लाॅकडाउन के प्रारंभ होने के साथ ही सब्जियों सहित सभी जरूरी आवश्यकताओं की सामग्रियों की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित की। कालाबाजारी पर कड़ाई से निगरानी रखी जिससे लोगों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नही करना पड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी। भीड़-भाड़ वाली जगह में जाने से बचे। मास्क अनिवार्य रूप से लगाए और अपने हाथों को धोते रहे। इन सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने से ही हम सभी इस संक्रमण पर विजय प्राप्त कर सकेंगे। 

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