राज्य में संग्राहकों को इस साल 50.37 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय

संग्रहण वर्ष 2020 में 67,552 क्विंटल इमली की हुई थी खरीदी, जबकि 2021 में 1,92,582 क्विंटल का हुआ संग्रहण

प्रसंस्करण गतिविधियों से वनवासियों को होने वाली आय में भी हुआ इजाफा

रायपुर : कोरोना-संकट के दौरान छत्तीसगढ़ के वनों में संग्रहित की जाने वाली इमली ने वनवासियों को बड़ा आर्थिक संबल प्रदान किया है। विषम परिस्थितियों के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस साल इमली का अधिक संग्रहण हुआ है, इससे संग्राहकों को 50.37 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है। 

    वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2020 तथा 2021 में कोविड संकट एवं लाकडाउन के बावजूद महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से शासन द्वारा ग्रामीणों, विशेषकर आदिवासियों को अतिरिक्त आय प्रदान करने हेतु इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य सतत् रूप से किया गया। साथ ही उक्त कार्य में दुगनी वृद्धि हुई है। संग्राहकों को इमली संग्रहण के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण से भी अतिरिक्त राशि प्राप्त हुई है।

राज्य में संग्रहण वर्ष 2020 में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा संग्राहकों से 67,552 क्विंटल इमली की खरीदी की गई थी, जिसका मूल्य 20.99 करोड़ रुपए था। जबकि संग्रहण वर्ष 2021 में 71.36 करोड़ रुपए मूल्य की 1,92,582 क्विंटल इमली की खरीदी की गई है। इस तरह संग्रहण वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में संग्राहकों को 50.37 करोड़ का अतिरिक्त आय हुई है। कोविड संकट के समय प्रसंस्करण समेत विविध गतिविधियों के माध्यम से भी संग्राहकों की अजीविका में वृद्धि हुई है। खरीदी कार्य में वर्ष 2020 में जिला यूनियन जगदलपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, द. कोण्डागांव एवं केशकाल द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया था। वर्ष 2021 में जगदलपुर, द.कोण्डागांव, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं केशकाल द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया है।

    राज्य में लगभग 5.00 लाख क्विंटल इमली का उत्पादन प्रति वर्ष होता है। इमली की पैदावार मुख्यतः बस्तर क्षेत्र में होती है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत इमली की खरीदी महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से की जा रही है। कोविड-19 संकट के दौरान लाकडाउन के बावजूद संघ द्वारा इमली खरीदी का कार्य किया गया। संग्रहण वर्ष 2020 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत आटी इमली हेतु निर्धारित क्रय दर राशि रू. 31 प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर रू. 36 प्रति किलोग्राम की गई। इसी प्रकार फूल इमली हेतु निर्धारित राशि रू. 63 प्रति किलोग्राम को बढ़ाकर राशि रू. 69 प्रति किलोग्राम किया गया। न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से लघु वनोपज संग्राहकों को उनके वनोपज का उचित दाम प्राप्त हुआ। 

संग्राहकों से क्रय की गई इमली के प्रसंस्करण अर्थात डिसिडींग का कार्य वन धन विकास केन्द्र में कार्यरत स्व-सहायता समूह तथा अन्य हितग्राहियों द्वारा किया जाता है। एक ओर जहां इमली क्रय से ग्रामीणों को उनके वनोपजों का उचित मूल्य प्राप्त हो रहा है, वहीं दूसरी ओर उसके प्रसंस्करण से अतिरिक्त आय का लाभ भी प्राप्त हो रहा है। संग्रहण वर्ष 2020 में क्रय की गई 23,312 क्विंटल इमली का प्रसंस्करण किया गया। इसी प्रकार संग्रहण वर्ष 2021 में संग्रहित इमली में से 68,330 क्विंटल इमली का प्रसंस्करण विगत एक माह के भीतर पूर्ण किया गया। इमली प्रसंस्करण कार्य से वर्ष 2020 में लगभग 13,311 हितग्राहियों को 1.45 करोड़ का भुगतान प्रसंस्करण कार्य से प्राप्त हुआ। वर्ष 2021 में 21,582 हितग्राहियों को इमली प्रसंस्करण कार्य हेतु राशि रू 2.69 करोड़ प्राप्त हुआ। कोविड संकट के दौरान भी वर्ष 2020 के तुलना में वर्ष 2021 में एक माह के भीतर ग्रामीणों की आय में काफी वृद्धि हुई है। इमली प्रसंस्करण में विगत वर्ष जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोण्डागांव द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया था। वर्तमान वर्ष में भी जिला यूनियन जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोण्डागांव द्वारा अति उत्कृष्ट प्रदर्शन कोविड संकट के दौरान किया गया।

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