Culture Minister inaugurates Chhattisgarh place-name introduction research seminar
Culture Minister inaugurates Chhattisgarh place-name introduction research seminar

रायपुर – संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने आज महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर के सभागार में छत्तीसगढ़ स्थान-नामार्थ विषय पर आयोजित दो दिवसीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया। मंत्री श्री भगत ने इस मौके पर सरगुजा के स्थान – नामों की परंपरा को रेखांकित करते हुए ऐसे अकादमिक आयोजनों में प्राप्त शोध पत्रों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम के अध्यक्ष संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद ने प्रदेश के अनेक महत्वपूर्ण स्थलों के नामकरण की रोचकता और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की विशेषता पर प्रकाश डाला।

संगोष्ठी के प्रथम दिन आज दो अकादमिक सत्रों में 10 शोध पत्रों का वाचन हुआ, जिसमें विभिन्न अध्येताओं और शोधार्थियों द्वारा बस्तर, सरगुजा, राजिम, कोरिया, भोरमदेव, खैरागढ़, राजनांदगांव, धमधा और गरियाबंद क्षेत्र से संबंधित स्थानों, स्मारकों, ग्रामों, नगर के नामों के, अर्थ, व्युत्पत्ति, उनमें निहित जनश्रुतियों की जानकारी दी गई। आधार वक्तव्य डॉ. के. के. चक्रवर्ती ने दिया। उन्होंने सरगुजा के आदिवासी समूहों द्वारा धारित उपनामों की व्याख्या करते हुए बताया कि इनमें जीव-जंतु और वनस्पतियों का समावेश मिलता है। उन्होंने पुरातत्त्व और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करते समय आधुनिक तकनीक और पारिस्थितिकी के मध्य संतुलन बनाए रखने की बात कही, जिससे आधुनिक विकास के दौर में मूर्त और अमूर्त विरासतों को नुकसान होने से बचाया जा सके। संस्कृति विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी ने संगोष्ठी के विषय की महत्ता पर अपनी बात कही। संचालक श्री विवेक आचार्य ने स्वागत उद्बोधन और कार्यक्रम का परिचय देते हुए संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। शुभारंभ सत्र के बाद डॉ. एन. एस. साहू और डॉ चितरंजन कर ने छत्तीसगढ़ के स्थान नामों पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर आचार्य रमेन्द्रनाथ मिश्र, डॉ. आर. एन. विश्वकर्मा, श्री मीर अली मीर, श्री अशोक तिवारी, श्री जी. एल. रायकवार उपस्थित थे।

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