जनजागरूकता अभियान

शिविरों में 4 हज़ार लोगों को पिलाया गया काढ़ा

आयुर्वेद जड़ी बूटियों से निर्मित काढ़ा सेवन से शरीर में कोरोना जैसी घातक बीमारी से मुकाबला करने की ताकत पैदा होती है। इसलिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा काढ़ा सेवन की पुरजोर अनुशंसा की गई है। जिला कलेक्टर श्री कार्तिकेया गोयल के निर्देश पर जिला अस्पताल में निःशुल्क काढ़ा पीने की व्यवस्था करने के बाद अब ग्रामीण इलाकों में काढ़ा के प्रति जनजागरूकता फैलाई जा रही है। आयुष विभाग के चिकित्सक डॉ आर.के.बंजारे गांव-गांव में शिविर लगाकर घर पर ही काढ़ा तैयार करने की विधि और इसके फायदे गिनाते फिर रहे हैं। बड़ी संख्या में ग्रामीण सोसल डिस्टेंसिंग के अनुशासन का पालन करते हुए उपस्थित होकर फायदा उठा रहे हैं। आयर्वेद विभाग के औषधालय- परसाडीह(बिलाईगढ़)और आमाखोहा (कसडोल) सहित अन्य गांवों में आयोजित शिविरों में लगभग 4 हज़ार लोगों को काढ़ा पान कराया गया।

        आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. बंजारे ने लोगों को घर पर ही काढ़ा बनाने की विधि बताई। शिविर स्थल पर लोगों के बीच स्वयं काढ़ा तैयार कर रहे हैं ताकि पूरी प्रक्रिया ग्रामीण आसानी से समझ सकें।उन्होंने बताया कि सोंठ, मरिच एवं पिप्पली का 100 ग्राम चूर्ण बनाने के लिए उक्त तीनों चीज़ों में से प्रत्येक की समान मात्रा अर्थात 33-33-33 ग्राम सामग्री लें। इसे बारीक कूट-पीसकर हवा रोधी डिब्बे में रखें। काढ़ा बनाने के लिए एक लीटर पानी में 5 ग्राम चूर्ण लें तथा इसमें तुलसी के 5 पत्ते डालकर उबालें। स्वाद अनुसार गुड़ अथवा शक्कर मिलाया जा सकता है। जब आधा लीटर पानी बच जाए तो काढ़ा तैयार हो जाता है। इसे दिन में 2 बार पियें। इस चूर्ण को चाय बनाते समय तुलसी पत्र डालकर और चाय में उबालकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ एम.एन कश्यप के मार्गदर्शन और नेतृत्व में पूरे जिले में काढ़ा सेवन के प्रति जनजागरूकता अभियान आगे भी जारी रहेगा।


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