Urban cows are earning income by linking with 'Godhan Nyaya Yojana'
Urban cows are earning income by linking with 'Godhan Nyaya Yojana'

रायपुर – रायपुर नगर निगम के सभी जोन में गोबर विक्रय हेतु पहुंच रहे गौ-पालक मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ सरकार की अभिनव पहल ‘गोधन न्याय योजना’ से रायपुर नगर निगम क्षेत्र के गौ-पालक लगातार जुड़ रहे हैं। लोक पर्व ‘हरेली’ के मौके पर रायपुर नगर में महापौर श्री एजाज ढेबर के मार्गदर्शन पर यह योजना आरंभ कर गौ-पालकों द्वारा संकलित गोबर क्रय किया जा रहा है। रायपुर नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत सभी जोन में गोबर क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन सभी गोबर क्रय केंद्रों में अब तक कुल 8988 किलोग्राम गोबर क्रय किया जा चुका है।

अपर आयुक्त श्री लोकेश्वर साहू के अनुसार गौ-पालकों की सुविधा के लिए नगर निगम के सभी जोन में गोबर क्रय केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। जोन क्रमांक-1 में बेस्ट प्राइज भनपुरी के पीछे, जोन क्रमांक-2 में नारायण हाॅस्पिटल के बाजू, जोन क्रमांक-3 में मोवा स्थित एसएलआरएम सेंटर में, जोन क्रमांक-5 में डंगनिया के तरुण नगर स्थित एसएलआरएम सेंटर में, जोन क्रमांक-6 में भाठागांव के गोकुलनगर में, जोन क्रमांक-7 के रामनगर सुलभ शौचालय के पास, जोन क्रमांक-8 में हीरापुर जरवाय स्थित एसएलआरएम सेंटर में, जोन क्रमांक-9 में फुंडहर गोठान के पास, जोन क्रमांक-10 और 4 के लिए अमलीडीह में गोबर क्रय केंद्र खोला गया है। ये सभी गोबर क्रय केंद्र संबंधित जोन के मार्गदर्शन पर संचालित किए जा रहे हैं।

इन क्रय केंद्रो में गौ-पालकों से प्रति 2 रुपये की दर से गोबर क्रय किया जा रहा है। अब तक जोन क्रमांक-1 में 105 किलोग्राम, जोन क्रमांक-2 में 55 किलोग्राम, जोन क्रमांक-3 में 464 किलोग्राम, जोन क्रमांक-5 में 124 किलोग्राम, जोन क्रमांक-6 में 450 किलोग्राम, जोन क्रमांक-7 में 775 किलोग्राम, जोन क्रमांक-8 में 6800 किलोग्राम, जोन क्रमांक-9 में 80 किलोग्राम जोन क्रमांक-4 और 10 में 135 किलोग्राम गोबर की खरीदी की जा चुकी है। श्री लोकेश्वर साहू के अनुसार संकलित गोबर को वर्मी कंपोस्ट खाद में परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए स्व सहायता समूहों को जोड़ा जा रहा है। तैयार जैविक खाद को स्व सहायता समूहों से राज्य शासन 8 रुपये प्रति किलो की दर से क्रय करेगी। यह जैविक खाद कृषक अपनी किसानी में इसका उपयोग कर सकेंगे जिससे मिट्टी की उर्वरकता में वृद्धि होगी। साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इस योजना से सड़कों पर विचरण करने वाले गौवंशी पशुओं की संख्या में कमी आएगी और शहर के गौठानों में समुचित प्रबंधन से गौ-पालकों को भी अतिरिक्त सुविधा होगी।