रायपुर – कृषि संचालनालय छत्तीसगढ़ की कृषि सलाह सेवाएं एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के उपायों को अपनाते हुए किसानों को सामयिक सलाह दी है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसान भाईयों को सलाह दी हैं कि तापमान में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए सिंचाई के प्रबंध करें। किसानों की सलाह दी गई है कि जहां तक सम्भव हो ग्रीष्मकालीन मूंगफल्ली, मंूग एवं सब्जी फसलों में धान के पैरा बिछा कर मल्चिंग करने की सलाह दी हैं। किसानों को खरीफ में जिन फसलों की बुवाई करनी हो उनकी उन्नतशील जातियों के बीज की व्यवस्था जरूर कर लेने की सलाह दी गई है। रबी फसलों की कटाई एवं मिसाई पश्चात् स्वस्थ एवं साफ बीजों को ही अगले वर्ष के लिए बुवाई हेतु सुरक्षित रखने की सहाल दी गई है। खेतों की गहरी जुताई करने एवं पॉलीथिन से ढकने, जिससे मृदा जनित खरपतवार, बिमारी एवं कीड़ों के अंडे नष्ट हो जाए। खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई हेतु मिट्टी पलट कर हल से गहरी जुताई करने कहा गया है।
सब्जियों की फसलों में टमाटर, बैगन, मिर्च, भिन्डी एवं अन्य सब्जी वाली फसल में निंदाई गुडाई करे एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई कर नत्रजन उर्वरक की मात्रा देवें। वातावरण में तापमान को देखते हुए सिंचाई की दर बढ़ाने कहा गया है। तापमान अधिक रहने की संभावना देखते हुए ग्रीष्म कालीन साग-सब्जी फसलों में पानी की व्यवस्था करनी चाहिए तथा तैयार हुई सब्जी को तुरंत तोड़कर बाजार ले जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर अधिक तापमान के साथ-साथ गर्म हवा के कारण सब्जी मुरझाने की संभावना हैं इसे ध्यान में रखने की सलाह दी गई है। सब्जी वर्गीय फसलों में निंदाई गुडाई हेतु स्वचालित वीडर का उपयोग कर समय एवं उर्जा की बचत की जा सकती है। नये फल उद्यान हेतु तैयारी करें, फलदार वृक्षों हेतु निर्धारित दूरी पर गड्डें खेदकर छोड़ देवें। इसी प्रकार से ग्रीष्मकालीन फसलों में मुख्य रूप से केले के पत्ते सूखने की संभावना ज्यादा हैं। सूखने या पीला पड़ने पर उस पत्ती को काट दे, जिससे वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो सके।
कृषि वैज्ञानिकों ने पशुपालक किसानों को सलाह दी है कि भैंस वंशीय पशुओं को पानी भरे तालाब में छोड़े। यदि संभव हो तो पशु बाड़े में फौगर की व्यवयस्था कर हर चार-पांच घंटे में फौगर चलाएं। पशुओं को लू लगने पर छायादार जगह ले जाकर गीले कपड़े से पूरे शरीर को बार-बार पोछे। पशु बाड़े को हवादार बनाये एवं गीले बारदाने लटकाकर ठंडा रखे। हैचरी से यदि चूजे पालने के लिए ला रहे हो तो फार्म या घर पहुंचने पर उन्हें इलेक्ट्राल पाउडर (1-2 ग्राम प्रति लीटर) मिला पानी पीने को देवें। बड़ी मुर्गियों को भी दिन के गर्म घण्टों में इलेक्ट्राल मिला पानी पीने दें। कृषि वैज्ञानिकों ने कार्य के दौरान किसानों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए फिजिकल डिसटेंस के साथ मास्क या गमछा मुंह पर बाधने कहा है। साथ ही अपने हाथ साबुन से बार-बार धोने की भी सलाह किसानों को दी है।