रायपुर – एक तरफ पूरा विश्व जहां कोरोना वायरस से लड़ रहा है, वहीं प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कोरोना के साथ ही कुपोषण से भी लड़ रही हैं। कोरोना के रोकथाम के लिए जारी लॉक डाउन के दौरान भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर छोटे-छोटे बच्चों के साथ गर्भवती, शिशुवती और किशोरी बालिकाओं को सूखा राशन(टेक होम राशन) का वितरण किया जा रहा है, ताकि कुपोषण के खिलाफ लड़ी जा रही महत्वपूर्ण लड़ाई में निश्चित तौर पर जीत हासिल की जा सके।
प्रदेश के सुदूर दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में भी कुपोषण की अधिक दर को देखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं दोहरी जिम्मेदारी साथ-साथ निभा रही हैं। इनमें ओड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्य की सीमाओं से लगे छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर पर स्थित सुकमा जिले के कई गांव ऐसे हैं जो पहुंचविहीन और दुर्गम हैं। अन्तर्राज्यीय सीमाओं से घिरे सुकमा जिले के ऐसे ही गांव गोलापल्ली और किस्टाराम भी हैं। इन गांव में आन्ध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्य से होते हुए पहुंचा जा सकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इन दुर्गम क्षेत्रों में भी लगातार रेडी टू ईट और टेक होम राशन वितरण (सूखा राशन) चांवल, मिक्सदाल, चना, सोयाबड़ी, सब्जी आदि पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य की निगरानी भी विभागीय अधिकारियों द्वारा की जा रही है। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं पोषण आहार देने के लिए घर-घर जाकर दस्तक दे रही हैं। कार्यकर्ताएं पोषण वितरण के दौरान कोविड-19 से बचाव बचाव और नियंत्रण के लिए सोशल व फिजिकल डिस्टेंसिंग सहित सुरक्षा नियमों के पालन संबंधी जानकारी दे रही हैं। विभाग द्वारा अब तक 33576 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है, इनमें 6 वर्ष तक के बच्चे, गर्भवती व शिशुवती महिलाएं तथा किशोरियां शामिल हैं। लगातार किए जा रहे प्रयासों के कारण जिले में कुपोषण का स्तर लगातार गिर रहा है। फरवरी 2019 में सुकमा जिले का कुपोषण दर 45.12 था, जो जनवरी 2020 में घटकर 33.57 फीसदी रह गया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बस्तर से कुपोषण का अंत करने को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है और वे यहां कुपोषण को दूर करने के लिए उठाए जा रहे सभी कदमों को न केवल देख रहे हैं बल्कि समय-समय पर दुरूस्त भी कर रहे हैं। कलेक्टर श्री चन्दन कुमार द्वारा भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए ‘संवरता सुकमा अभियान‘ चलाया जा रहा है।
फरवरी 2019 में सुकमा जिले का कुपोषण दर 45.12 था, जो जनवरी 2020 में घटकर 33.57 फीसदी रह गया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बस्तर से कुपोषण का अंत करने को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है और वे यहां कुपोषण को दूर करने के लिए उठाए जा रहे सभी कदमों को न केवल देख रहे हैं बल्कि समय-समय पर दुरूस्त भी कर रहे हैं। कलेक्टर श्री चन्दन कुमार द्वारा भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए ‘संवरता सुकमा अभियान‘ चलाया जा रहा है।