दुर्ग– भोजन की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने तथा दलहन उत्पादन में राज्य को आत्म निर्भर बनाने के लिए राज्य शासन द्वारा दलहन क्षेत्र विस्तार हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए जिले सहित प्रदेश के 10 जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के आधार पर विशेष कार्यक्रम का क्रियान्वयन कृषि विभाग के माध्यम से किया जा रहा है जिससे की दलहन उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि हो।
दलहन की आवश्यकता एवं महत्व-दलहन निदेशालय भारत सरकार की दलहन उपभोग अनुशंसा (60 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन) के आधार पर जिले की जनसंख्या अनुसार एक वर्ष में लगभग 37710 टन दलहन की आवश्यकता है, जबकि जिले में दलहन फसल क्षेत्राच्छादन एवं प्राप्त औसत उत्पादकता के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 26020 टन दलहन का उत्पादन होता है। दलहन की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए दलहन क्षेत्र विस्तार हेतु विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
मेड़ों पर अरहर कार्यक्रम- जिले में धान खरीफ की प्रमुख फसल है तथा वर्तमान में 129000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बोआई की गई है। दलहन उत्पादन में वृद्धि हेतु विभाग का लक्ष्य धान की शत्-प्रतिशत मेड़ों पर दलहन, तिलहन उत्पादन के लक्ष्य की दिशा में जिला प्रशासन के खनिज संस्थान न्यास मद से चलाये जा रहे विशेष कार्यक्रम के प्रथम चरण में जिले के 74 ग्रामों का चयन कर चयनित ग्रामों के शत्-प्रतिशत मेड़ों पर अरहर उत्पादन कार्यक्रम का लक्ष्य रखा गया है इसमें विकासखण्ड-दुर्ग के 11 ग्रामों में 3596 हेक्टेयर, पाटन केे 32 ग्रामों में 6338 हेक्टेयर एवं धमधा केे 31 ग्रामों में 10654 हेक्टेयर कुल 20588 हेक्टेयर क्षेत्र खेतों की मेड़ों पर अरहर फसल उत्पादन कार्यक्रम लिया जा रहा है। जिसमें छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम के माध्यम से 13096 कृषकों को 411.74 क्विंटल बीज वितरित किया गया है।
जिले में कुल 27411 हेक्टेयर क्षेत्र में मेड़ों पर अरहर उत्पादन किया जा रहा है जो कि गतवर्ष (12330 हेक्टेयर ) की तुलना में 260 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष खरीफ में 530 क्विंटल बीज वितरण किया गया है जो कि गतवर्ष (135 क्विंटल) की तुलना में 373 प्रतिशत अधिक है साथ ही विभाग द्वारा मैदानी अमलें के माध्यम से नवीन एवं पुरानी मेड़ों पर भी अरहर उत्पादन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए मेड़ो पर अरहर क्षेत्र विस्तार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे की आगामी वर्षों में जिले के शत्प्रतिशत धान फसल के मेड़ों पर अरहर उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।