रायपुर – आदिम जाति विकास विभाग की संचालक श्रीमती शम्मी आबिदी ने कहा है कि नेतृत्व एवं सीखना एक-दूसरे के पूरक हैं। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का परीक्षा परिणाम विद्यालय के प्राचार्यों और विषय शिक्षकों की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है। इन विद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों को लगातार नए-नए शिक्षण तकनीक सीखकर उनका लाभ बच्चों तक पहुंचाना चाहिए। श्रीमती शम्मी आबिदी आज ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की प्राचार्यों और विषय शिक्षकों के उन्मुखीकरण और क्षमता विकास प्रशिक्षण के समापन सत्र को संबोधित कर रहीं थीं। प्राचार्यों को प्रशिक्षण के अंतर्गत मुख्य रूप से नेतृत्व क्षमता और प्रबंधन की बारीकियों से अवगत कराया गया, वहीं गणित विषय के शिक्षकों को सरल माध्यम से प्रश्नों को हल करने की शिक्षण तकनीक बताई गई।
श्रीमती आबिदी ने एकलव्य विद्यालय से पास-आउट बच्चों की ट्रेकिंग किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालयीन शिक्षण उपरांत बच्चा किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने में सफल हुआ है। इसका सतत् मूल्यांकन किए जाने पर भी उन्होंने बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे विद्यालय की कार्ययोजना में अपेक्षा अनुरूप परिवर्तन किया जा सकता है। उन्होंने अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य बनाकर उन्हें पूरी क्षमता के साथ पूरा किए जाने पर जोर दिया। श्रीमती आबिदी ने कहा कि प्रशिक्षण की वास्तविक सफलता तभी मानी जाएगी, जब इसका सकारात्मक परिणाम धरातल पर देखने को मिलेगा।
आदिम जाति विकास विभाग के उपायुक्त श्री प्रज्ञान सेठ ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कक्षा 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इन संस्थाओं के बच्चे परीक्षाओं में सम्मिलित हो सकते हैं। श्री सेठ ने कार्यशाला में उपस्थित प्राचार्यों और शिक्षकों को यह जानकारी बच्चों तक पहुंचाने का अनुरोध किया।
उल्लेखनीय है कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के प्राचार्यों और विषय शिक्षकों का उन्मुखीकरण एवं क्षमता विकास का चार-चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन चरणों में विगत 9 मार्च से संचालित हो रहा है। प्रथम चरण में 9 से 12 मार्च तक अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों को, दूसरे चरण में 15 से 18 मार्च तक हिन्दी और विज्ञान और अंतिम चरण में 22 से 25 मार्च तक गणित विषय के शिक्षकों और प्राचार्यों को प्रशिक्षण दिया गया।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर उन्हें सामान्य विद्यार्थियों के समकक्ष लाना और उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए तैयार करना है। यह विद्यालय कक्षा 6वीं से 12वीं तक संचालित किए जा रहे हैं। वर्ष 2018-19 से विद्यालयों में सीबीएसई के पाठ्यक्रम अनुसार अध्यापन कराया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 71 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित हैं। जिनमें 10 कन्या, 6 बालक एवं 55 संयुक्त विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों में कक्षा 6वीं से 12वीं तक 60 सीटर प्रति कक्षा के मान से प्रत्येक विद्यालय में 420 बच्चों को प्रवेश देने का प्रावधान है।
प्रशिक्षण सत्र के समापन पर शिक्षकों से फीडबैक भी लिया गया। सभी प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण सत्र की सराहना करते हुए आग्रह किया कि इस प्रकार का प्रशिक्षण सत्र नियमित अंतराल में होते रहना चाहिए। इससे शिक्षण संबंधी नए-नए तकनीकों को सीखने का अवसर मिलता है, जिससे सरल और प्रभावी ढंग से कक्षा में विद्यार्थियों को पढ़ाने में मदद मिलती है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को नवीन शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराना, उनमें पेशेवर क्षमता वृद्धि कर विषय की बेहतर समझ का विकास करना है। इसके साथ ही राज्य में पहली बार सीबीएसई पैटर्न के आधार पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में विशेष रूप में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के विषय-विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया गया। समापन अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए गए।