रायपुर – एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के प्राचार्यों और विषय शिक्षकों के उन्मुखीकरण और क्षमता विकास प्रशिक्षण के अंतिम चरण के प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संयुक्त संचालक एवं राजभवन सचिवालय में उपसचिव डॉ. टी.आर. वैष्णव ने कहा कि एकलव्य विद्यालयों में ग्रामीण परिवेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थी अध्ययनरत होते हैं, अतः इनकों अच्छी शिक्षा प्रदान करना हमारा प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही जनजाति विकास की कुंजी है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर इन विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने में आप महत्वूपर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा में अंतिम चरण का प्रशिक्षण आज से प्रारंभ हुआ जो 25 मार्च तक चलेगा। अंतिम चरण के प्रशिक्षण में विद्यालयों के प्राचार्यों और गणित के शिक्षकों को मुख्य रूप से नेतृत्व क्षमता एवं प्रबंध की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा।
डॉ. वैष्णव ने आदिवासी विकास की समस्याओं व उनके समाधान विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा दो प्रकार ही होती है- औपचारिक और अनौपचारिक। अनौपचारिक शिक्षा में व्यक्ति अपने माता-पिता, दोस्तों और अपने आस-पास के परिवेश से सीखता है, वहीं औपचारिक शिक्षा के अंतर्गत स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थाआंे के माध्यम से ज्ञान अर्जन होता है। शिक्षा के दोनों ही माध्यम अति महत्वपूर्ण हैं। एक सभ्य नागरिक बनाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रशिक्षण में उपस्थित सभी प्राचार्य और विषय शिक्षक औपचारिक शिक्षा ग्रहण करने आए हैं। अतः पूरी ईमानदारी से प्रशिक्षण सत्र का लाभ उठाएं।
आदिमजाति विभाग के उपायुक्त श्री प्रज्ञान सेठ ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान की मूलभूत अवधारणा में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा की तथा इन प्रावधानों का अधिकाधिक लाभ इन वर्गों के विद्यार्थियों तक पहुंचाने पर बल दिया। परिचर्चा के दौरान प्राचार्यों ने सीबीएसई पैटर्न से शिक्षा में अध्ययन सामग्री और शिक्षण तकनीक की कमी दूर किए जाने संबंधी समस्या बताई। श्री सेठ ने कहा कि सीबीएसई की वेबसाइट पर एनसीईआरटी की पुस्तकें, पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्र और उनके हल सभी कुछ उपलब्ध है। इसके माध्यम से सफलतापूर्वक पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। अन्य किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए प्रशिक्षण में उपस्थित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के विषय-विशेषज्ञ की मदद ली जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को नवीन शिक्षण पद्धति से अवगत कराने के साथ ही उनमें पेशेवर क्षमतावर्धन करना है। जिससे उनमें विषय की बेहतर समझ विकसित हो सके और वे विद्यार्थियों को बहुत ही सरल तरीके से विषय संबंधी ज्ञान दे सकें। सीबीएसई पैटर्न के आधार पर शिक्षण संबंधी पहली बार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के माध्यम से सीबीएसई बोर्ड के आधार पर शिक्षण तकनीक की बारीकियों से अवगत कराया जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रथम चरण 9 से 12 मार्च में अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। दूसरे चरण में 15 से 18 मार्च तक हिन्दी और विज्ञान विषय के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। अंतिम चरण में 22 से 25 मार्च तक एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के प्राचार्यों और गणित विषय के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में राष्ट्रीय स्तर की संस्था अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के विषय-विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क सहायता दी जा रही है।