कलेक्टर ने आमजनो से अपील करते हुए कहा कि कोरोना (कोविड-19) अत्यधिक संक्रमित वायरस जनित रोग है। यह वायरस मुख्य रूप से हाथ, मुंह, नाक, आंख के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचता है। राजनांदगांव जिला महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा से लगता है। प्रतिदिन जिले की सीमाओं में हजारों की संख्या में प्रवासी आ रहे हैं। कुछ सामाजिक संगठन मानवता के नाते प्रवासी मजदूरों को भोजन पैकेट भी प्रदान कर रहे है, जो सराहनीय कार्य है। लेकिन सहयोग करते समय कोरोना संक्रमण से बचने के सभी उपायों को अपनाना अत्यंत जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि गीला खाद्य पदार्थ, केला, पानी पाऊच देने पर श्रमिक या प्रवासी खाद्य पदार्थ का उपयोग करने के बाद रोड या बसाहट के आसपास फेंक देते हैं। इन पैकेटों में मजदूरों से संपर्क/लार इत्यादि होने से कोरोना संक्रमण का मुख्य कारण हो सकता है। जिससे जिले में संक्रमण फैल सकता है।
समाजसेवियों को सामग्री वितरण में प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
समाजसेवियों को संबंधित एसडीएम को लिखित सूचना के पश्चात् ही सामग्री का वितरण करना चाहिए। बिना सूचना के भोजन वितरण का कार्य न करें। यह भी कोशिश करें कि सूखा खाद्य पदार्थ (चना, मुर्दा, नमकीन, बिस्किट, गुड़ इत्यादि) का वितरण हो। यदि फल वितरण करना है तो ऐसे फल दें, जिसके खाने के बाद अवशेष नहीं बचता है।
यदि गरम खाना/लंगर चलाया जाता है तो आवश्यक प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। प्रोटोकाल का उल्लंघन होने पर समाजसेवी संगठन के विरूद्ध कार्रवाई की जा सकती है। खाना पैकेट में दें, खाना लंगर में निर्धारित स्थल में पैकेट में देना चाहिए। लंगर स्थल चारों ओर से घिरा होना चाहिए। पैकेट का कचरा लंगर/भोजन वितरण स्थल में रखी पेटी में ही डाला जाय। लंगर/भोजन वितरण स्थल में पैकेट एक टेबल में रखें। जरूरत मंद व्यक्ति पैकेट उठाएंगे और वहीं खाएंगे डस्टबिन में डालेंगे तभी वहां से जाएंगे।
डस्टबिन में सोडियम हाइपोक्लोराईट का छिड़काव स्प्रे से किया जाए। इसके लिए लंगर संचालकों को स्प्रे की व्यवस्था करनी होगी। डस्टबिन के पैकेट को डिस्पोज करने वाले व्यक्तियों को मास्क (एन-95), ग्लव्स, पीपीई किट का उपयोग करना होगा।