रायपुर – प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने राज्य के सभी शालाओं की प्रबंधन समितियों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों से प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को अनिवार्य रूप से स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित कराने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते लाखों की संख्या में छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिक अपने गांव-घर लौटें हैं। प्रवासी श्रमिकों के बच्चे शिक्षा से वंचित न रहने पाएं, यह हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने शाला प्रबंधन समितियों एवं ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों एवं ग्रामीणों से गांव में लौटे सभी प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के नाम एवं अध्ययनरत कक्षा की जानकारी एकत्र कर शाला के प्रधान पाठक को उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि वे ऐसे सभी बच्चों के शाला में प्रवेश की प्रक्रिया पूर्ण कराई जा सके। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि दस्तावेज के अभाव में किसी बच्चे को स्कूल में दाखिला देने से वंचित न रखा जाए।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने सभी संबंधितों को इस बात का विशेष ध्यान देने की अपील की है कि यदि उनके क्षेत्र में बालिकाओं के ड्राप आउट होने की संभावना दिख रही हो तो ऐसी बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। बालिकाएं नियमित रूप से स्कूल जाएं, इसके लिए उनके पालकों को प्रेरित करें। बालिका शिक्षा को जारी रखने के लिए आवश्यकता अनुसार उन्हें बालिका छात्रावास में भी प्राथमिकता से प्रवेश दिलाया जाए।
डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि राज्य में कोरोना संकट को देखते हुए बहुत बड़ी संख्या में श्रमिक परिवार वापस अपने-अपने गाँव लौट रहे हैं। इन श्रमिक परिवारों को गाँव के बाहर के स्कूलों, छात्रावासों, आश्रमों में क्वारेंटीन किया गया है, ताकि गाँव में संक्रमण न फैले। प्रवासी श्रमिक परिवारों में स्कूल जाने योग्य बच्चे भी हैं, जिन्हें इस वर्ष स्कूल में प्रवेश दिलाना जरूरी है। शिक्षा मंत्री ने श्रमिकों परिवारों के उन बच्चों को भी जो किन्हीं कारणों से लम्बी अवधि से अनुपस्थित रहें हैं, उन्हें भी शाला में प्रवेश देकर उनकी शिक्षा-दीक्षा का प्रबंध करने को कहा है।