रायपुर। कोरोना संक्रमण (कोविड-19) से बचाव के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राज्य सरकार के राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही महामारी की रोकथाम के लिए अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था भी तत्काल किया जाना है, जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय व्यय के युक्तियुक्तकरण और उपलब्ध संसाधनों का विकासमूलक कार्यो के लिए अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए मितव्ययता के अनेक निर्णय लिए हैं। जिसके तहत नए पदों का निर्माण, स्थानांतरण, महंगे होटलों में बैठकें, विदेश यात्रा और नए वाहनों की खरीदी पर रोक लगा दी गई है वहीं रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति, वार्षिक वेतन वृद्धि में मितव्ययता के संबंध में निर्देश जारी किए गए है।
राज्य सरकार के वित्त विभाग द्वारा इस संबंध में जारी निर्देश के तहत लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले सीधी भर्ती के रिक्त पदों एवं अनुकंपा नियुक्ति के पदों को छोड़कर शेष सभी भर्ती के रिक्त पदों को भरने के पहले वित्त विभाग की अनुमति ली जाएगी। जिन पदों के लिए वित्त विभाग से भर्ती की अनुमति प्राप्त हो चुकी है, किन्तु नियुक्ति शेष है उनके लिए भी वित्त विभाग की अनुमति पुनः प्राप्त की जाएगी। ऐसे प्रस्ताव को वित्त विभाग में भेजते समय इन पदों की पूर्ति पर आने वाले वार्षिक वित्तीय भार तथा पदों की पूर्ति की आवश्यकता का औचित्य दर्शाया जाएगा।
वित्त विभाग ने कहा है कि विभागों द्वारा नियमित पदोन्नति में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाए, किन्तु पदोन्नति के परिणाम स्वरूप होने वाले स्थानांतरण को रोकने के लिए याथसंभव उस पद को उसी स्थान पर आगामी आदेश तक अस्थाई तौर पर उन्नयन (अपग्रेड) कर दिया जाए। पदोन्नति-क्रमोन्नति के फलस्वरूप देयक एरियर्स राशि के भुगतान को वित्त विभाग के आगामी आदेश तक विलंबित रखा जाए। विभागों के स्थापना व्यय में वृद्धि को नियंत्रित रखने की दृष्टि से सभी शासकीय विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, निकायों में नवीन पद सृजन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है। विशेष परिस्थितियों में वित्त विभाग की सहमति से ही नवीन पद सृजित किए जा सकेंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के अनुसार स्थानांतरण पर प्रतिबंध है। स्थानांतरण केवल समन्वय में अनुमोदन के बाद ही किया जाएगा। स्थानांतरण पर अतिरिक्त व्यय भार को ध्यान में रखते हुए विभागों से यह अपेक्षा की गई है कि समन्वय मंे भी न्यूनतम स्थानांतरण किया जाए और अति आवश्यक होने पर स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण को प्राथमिकता दिया जाए। लोक हित में वांच्छित अपवाद को छोड़कर राज्य शासन के व्यय पर विदेश यात्राओं पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। शासकीय अधिकारियों के बिजनेस क्लास से हवाई यात्रा और प्रथम श्रेणी में रेल यात्रा पर प्रतिबंध रहेगा। अनावश्यक एवं बिना सक्षम स्वीकृति के शासकीय भ्रमण प्रतिबंध रहेगा।
विभागों को बैठकों का आयोजन न्यूनतम करने को कहा गया है। कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, शासकीय समारोह के आयोजनों में मितव्ययिता बरतने तथा अति आवश्यक बैठक-कार्यक्रम का आयोजन महंगे होटलों की बजाय शासकीय भवनों में करने के निर्देश दिए गए है। यथा संभव बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंस एवं वेबीनार के माध्यम से आयोजित की जाए। आदेश में कहा गया है कि विभागों द्वारा अति आवश्यक नवीन योजनाओं को ही चालू वर्ष में प्रारंभ करने की कार्यवाही-प्रस्ताव प्रेषित किया जाए तथा पूर्व से संचालित योजनाओं की अलग से समीक्षा की जाए। जो योजनाएं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुपयोगी है। उनको समाप्त करने की कार्यवाही की जाए। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान नवीन वाहनों का क्रय पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा केवल अत्यावश्यक सेवाओं के लिए आवश्यक वाहनों का क्रय वित्त विभाग की अनुमति से किया जा सकेगा।
राज्य के शासकीय सेवकों को एक जुलाई 2020 एवं एक जनवरी 2021 में देय वार्षिक वेतन वृद्धि को आगामी आदेश तक विलंबित रखा गया है। किन्तु एक जनवरी 2021 एवं एक जुलाई 2021 से पूर्व सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों के मामले में यह लागू नहीं होगा। विभिन्न विभागों द्वारा संचालित व्यक्तिगत जमा खाता (पीडी एकाउंट) जो एक वर्ष की अवधि से प्रचलन में नहीं है को तत्काल बंद करने तथा खाते में जमा राशि चालान के माध्यम से शासकीय कोष में जमा करने के निर्देश दिए गए है। राज्य पोषित योजना के तहत प्रावधानित राशि जो कि संचित निधि से 31 मार्च 2020 तक अग्रिम आहरित कर बैंक खातों में रखी गई है को अर्जित ब्याज सहित 15 जून 2020 तक राज्य शासन के खाते में वापिस जमा की जाएगी।
वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि कतिपय केन्द्रीय योजनाओं में राशि बजट के माध्यम से प्राप्त होती है। ऐसी योजनाओं में बजट में प्रावधानित राशि के विरूद्ध 31 मार्च 2020 तक अग्रिम आहरित कर बैंक खाते में जमा राशि में से कमिटेड एक्सपेंडिचर, जो तत्काल किया जाना संभावित हो, का भुगतान कर शेष समस्त राशि अर्जित ब्याज सहित मुख्य शीर्ष 8443-के-डिपाजिट में 15 जून 2020 तक अनिवार्य रूप से जमा करने को कहा गया है। विभागों द्वारा भविष्य में आवश्यकतानुसार वित्त विभाग की अनुमति से के-डिपाजिट में जमा राशि विमुक्त कराई जा सकेगी।
वित्त विभाग द्वारा जारी यह आदेश राज्य के शासकीय विभागों, कार्यालयों के साथ-साथ सभी निगम, मण्डल, आयोग, प्राधिकरण, विश्वविद्यालय और अनुदान प्राप्त स्वशासी संस्थाओं में भी समान रूप से लागू होंगे। ये निर्देश 31 मार्च 2021 तक लागू रहेंगे। इस संबंध में वित्त विभाग द्वारा आज मंत्रालय से सभी विभागों सहित अध्यक्ष, राजस्व मंडल, संभागीय कमिश्नरों, विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को परिपत्र जारी किया गया है।