631 श्रमिकों को मिला रोजगार
रायपुर – कोरोना वायरय (कोविड-19) महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान भी मुख्यमंत्री राहत शिविर आजीविका का केन्द्र बन गया है। राहत शिविर में रूके श्रमिकों के लिए शासन द्वारा रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वस्थ्य श्रमिक, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खाली समय में मेहनत कर अतिरिक्त आमदनी भी अर्जित कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सूरजपुर जिले में जिला प्रशासन द्वारा दीगर राज्य एवं अन्य जिलाें से फंसे लगभग 631 श्रमिकों को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है। यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।
राहत शिविर में रूके सभी श्रमिकों को राज्य शासन जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप भोजन, रहने के लिए पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ खेल सामग्री जैसे लूडो, कैरम, टीवी आदि प्रदान की गई है। श्रमिकों द्वारा नियमित रूप से योग भी किया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था भी सुचारु रुप से चल रही है।
इन शिविरों में रुके हुए श्रमिकों को उनकी दैनिक मजदूरी की जो आर्थिक क्षति हो रही है उसकी पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए इन्हें दैनिक आजीविका के कार्य उपलब्ध करा रहे हैं। शिविर में श्रमिक द्वारा बांस के ट्री गार्ड का निर्माण किया जा रहा है। जिसको कि वन विभाग द्वारा त्वरित क्रय किया जा रहा है। इसके लिए श्रमिकों को आवश्यक बांस की उपलब्धता वन विभाग द्वारा कराए जाने के साथ ही कार्य प्रारंभ होने से पूर्व मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया है। जिसके बाद इनके द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए ट्री गार्ड बनाने में शिद्दत के साथ जुट गए हैं। प्रशिक्षित श्रमिकों द्वारा ट्री गार्ड निर्माण पर मात्र दो दिवस में ही श्रमिकों को प्रशासन द्वारा लगभग 30 हजार रूपए से अधिक का भुगतान किया गया है। प्रत्येक श्रमिक द्वारा दिन में लगभग 350 से 400 रूपए तक की आमदनी अर्जित की जा रही है। इस विशेष पहल सेे मुख्यमंत्री राहत शिविर न केवल राहत शिविर वरन् एक मुख्यमंत्री आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील हो गया है। यहां ठहरे अतिथियों में अत्यंत खुशी का माहौल है और अब उन्हें अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए और बेहतर तरीके से समय बिताने का अवसर प्राप्त हो गया है। इन्ही में शामील मध्य प्रदेश बालाघाट जिले के एक अतिथि श्री भोजलाल डोमार को जब उनकी मेहनत की कमाई हुई रकम हाथ में मिली तो उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद करते हुए कहा कि लाॅकडाउन में जब हम शिविर में आएं थे, तो यह नहीं सोंचा था कि राहत शिविर में हमें काम मिल जाएगा और इससे आमदनी भी मिलेगी। वास्तव में यह सपना छत्तीसगढ़ सरकार के जरिए पूरा भी हो रहा है।
श्री भोजलाल डोमार ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार हमारा और हमारे परिवार का न केवल सुरक्षा का ध्यान रखा बल्कि हमारे आजीविका के लिए काम का अवसर उपलब्घ कराया है। अब हम यहां मुख्यमंत्री राहत शिविर के खुशनुमा यादों के साथ कमायें हुए पैसों को लेकर अपने घर जायेंगें। श्री डोमार ने खुशियों से भरे लफ्जों में जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपने घर बालाघाट आने का आमंत्रित किया। इस दौरान अन्य श्रमिकों ने भी कहा कि जब हम लाॅकडाउन के बाद अपने घर के लिए प्रस्थान करेंगे। तब यह न केवल खुशनुमा यादें बल्कि अपने साथ अपनी कमाई हुई रकम भी साथ लेकर जाएंगे और बेहतर रूप से आर्थिक सुदृढ़ बनकर अपने घर पहुंचेंगे।