रायपुर। लॉकडाउन के दर्द को कम करने के लिए केंद्र ने बहुत बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया है। 20 लाख करोड़ जैसे पैकेज के आकड़े को सुनकर सभी ने सुकून की सांस ली थी, लेकिन अब पैकेज का पूरा ब्योरा मिलने के बाद लोगों में असमंजस की स्थिति है।
लॉकडाउन ने छोटे-बड़े उद्योग और व्यापार जगत को प्रभावित किया है. इंडस्ट्रीज पूरी तरह बंद होने से घाटा हो रहा है। सरकार के छूट देने के बावजूद फैक्ट्रियां अबतक पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई हैं. फैक्ट्री चलाने की मंजूरी मिलने के बाद अब कामगारों की कमी ने समस्या बढ़ा दी है. कुशल श्रमिकों की कमी ने इंडस्ट्री के पहिए रोक दिए हैं।
जानकारों की माने तो प्रदेश का मजदूर वर्ग आयरन फैक्ट्री की गर्मी
में काम नहीं कर पाते हैं। यहां ओडिशा और बिहार के मजदूरों की मांग होती
है। वे इस मामलें कुशल माने जाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के डर और
लॉकडाउन ने उन्हें प्रदेश छोड़ने को विवश कर दिया है।
बाता दें कि छत्तीसगढ़ में 120 मिनी प्लांट हैं. करीब 185 रोलिंग मिल, 100 स्पंज आयरन और 50 बड़े प्लांट लगे हैं. छत्तीसगढ़ स्टील और आयरन इंडस्ट्री का हब माना जाता है। इन इंडस्ट्रीज में करीब 5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्क्षक रूप से रोजगार मिलता था। जो फिलहाल बंद हैं. स्टील और आयरन से जुड़ी तमाम इंडस्ट्रीज को केंद्र के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज से बड़ी उम्मीदें थी। लेकिन पैकेज के ऐलान के बाद व्यापारियों और इंडस्ट्री मालिकों में काफी नाराजगी और निराशा है. अब जरूरत है कि उद्योगपतियों और व्यापारियों को सही तरीके से राहत मिल सके ताकि वे संकट के बुरे दौर से उबर सकें।
वहीं छोटे और मध्यम उद्योगों को भी लॉकडाउन से भारी घाटा हुआ है. व्यापारियों ने भले ही लॉकडाउन का पालन किया, लेकिन अब इन उद्योगों को भी शुरू करने की मांग तेज़ हो गई है. छत्तीसगढ़ में एमएसएमई सेक्टर के करीब 1 लाख उद्योग हैं. इनमें से 10 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है. लॉकडाउन की वजह से बंद पड़े उद्योगों ने केंद्र और राज्य सरकार के सामने कई मांगे भी रखी थी. जिनमें कर्ज के ब्याज माफ करने, बिजली बिल में राहत और इसके अलावा वर्किंग कैपिटल और सीसी लिमिट बढ़ाने की मांग भी शामिल थी. लघु, कुटीर और मध्यम उपक्रम सेक्टर ने केंद्र के राहत पैकेज पर भरोसा जताया है. केंद्र की स्वदेशी स्कीम का भी स्वागत किया है।