खेत में धान की फसल कटाई के बाद बचे पैरे को बेलर मशीन से गोलाकार गट्ठर लगाकर किसान गौठानों में दान करने की तैयारी कर रहे हैं। जिससे गौठानों में आने वाले पशुओं के लिये चारा उपलब्ध हो सके।
खेत में बचे पैरे को बेलर मषीन के माध्यम से गोलाकार गट्ठर बनाकर किसान आसानी से एकत्रित कर सकते हैं और अपने पशुओं को सूखा चारा दे सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा बेलर मशीन को चलाने और पैरे के गट्ठर बनाने की विधि का प्रदर्शन किसानों को खेतों में दिया जा रहा है। इसके लिये गांव का चयन भी किया गया है। जहां के किसानों को यह विधि बताई जा रही है।
बिल्हा विकासखंड के ग्राम खम्हारडीह, महमंद और मस्तूरी विकासखंड के ग्राम लावर और दर्रीघाट में बेलर मषीन से हार्वेस्टर चलाने के बाद खेत में पड़े पैरा को गट्ठर बनाने का प्रदर्शन किया जा रहा है। अभी तक इन गांवों में 200 गट्ठर तैयार कर गौठानों में देने की तैयारी की जा रही है।
जिले में इस वर्ष 18 हजार हेक्टेयर से ज्यादा गर्मी के धान की खेती की गई है। बढ़ते कृषि यंत्रीकरण और समय अभाव के कारण किसान कम्बाईंड हार्वेस्टर से धान फसल की कटाई करते हैं और धान काटने के बाद बचे पैरे को खेत में ही छोड़ देते हैं। कुछ किसान इस पैरे को जला भी देते हैं, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पैरा जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है और इन पैरों को गौठानों में दान करने हेतु किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कलेक्टर डाॅ.संजय अलंग और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रितेश अग्रवाल के मार्गदर्शन में गर्मी के धान का पैरा एकत्र करने और गौठानों में दान करने के लिये कृषि विभाग और पंचायत विभाग द्वारा संयुक्त मुहिम चलाई जा रही है। गौठानों में पैरा दान के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनके खेतों में बचे हुए पैरे को गट्ठर बनाकर उसे गौठानों तक सरलतापूर्वक पहुंचाया जा सकेगा। इसी उद्देश्य को लेकर बेलर मशीन चलाने का प्रदर्शन खेतों में किया जा रहा है।