रायपुर – विद्याार्थी जीवन में जब थे तब पतझड़ के मौसम से परीक्षा का मौसम याद आता था, वो मार्च का महीना रहता था। अब भी पतझड़ का मौसम आते ही वो परीक्षा के दिन याद आ जातेे हैं। अब याद कीजिए पिछले साल मार्च का महीना, कोरोना का संक्रमण पूरे देश में शुरू ही हुआ था और छत्तीसगढ़ में एक दो केस ही पता चले थे,पर दहशत बहुत थी। फिर वही मार्च का महीना आ गया लेकिन साल बदल गया। अब अधिक कोरोना के केस हैं और दहशत नाम मात्र की। पर वही पिछले साल की भयावहता के पदचाप फिर सुनाई दे रहे हैं, अगर हम सुनना चाहें तो।
अभी भी समय ह,ै उत्तीर्ण हो सकते हैं हम सब इस परीक्षा में। पाठ्यक्रम वही है पिछले साल का, रिवाइज बस करना है, प्रश्न पत्र भी सबको पता चल गया है, बचाव का फार्मूला वही है जिसे रटना है, अमल में भी लाना है और आसान भी है। मास्क सही तरीके से लगाऐं और दूसरों को भी टोकें, भीड़ से बचें और हाथ साबुन पानी से धोकर साफ रखें फिर जिंदगी की परीक्षा में हम सब आसानी से उत्तीर्ण हो जाएंगे।
उस समय कोरोना संबंधी शब्दावली से हम सब वाकिफ नही थे। पैन्डेमिक, लाॅकडाउन, रेड जोन, आरेंज जोन, कन्टेनमेंट जोन, कोमार्बिड, रैपिड एंटीजेन, आर टी पी सी आर टेस्ट जिसका पूरा नाम याद करने में ही महीनों लग गए थे। उस समय लोग और सरकारें तैयार नही थी कोरोना महामारी को लेकर, उसके प्रबंधन को लेकर, डाक्टर इलाज ढंूढ रहे थे, बिना इलाज के लोग काल कवलित हो रहे थे। लेकिन अभी हम बहुत बेहतर स्थिति में हैं, पर्याप्त स्वाास्थ्य संसाधन हैं, इलाज की पूरी व्यवस्था है, पूरी प्रक्रिया से हर कोई वाकिफ है, उम्मीद का टीका भी आ गया है।
बस अपनी मनःस्थिति बदलने की जरूरत हैं, कुछ दिन ,कुछ माह और सतर्कता बरतने की जरूरत है। जिंदगी रहेगी तो होली भी हर साल आएगी, दोस्त रहेंगे तो हर साल मिलेंगे। कोरोना से जंग अभी जारी है पर अब हमारे पास नवीनतम हथियार हैं, वैक्सीन है। पात्र लोगों को कोविड -19 वैैक्सीन जरूर लगानी चाहिए, साथ ही बचाव का फार्मूला भी नही भूलना हैै।