रायपुर – कृषि विभाग ने धान की फसलों को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए किसान भाइयों को प्रकाश प्रपंच का उपयोग करने के साथ ही निदा नियंत्रण हेतु दवाओं की उचित मात्रा का छिड़काव करने की सलाह दी है। किसानों को धान फसल में हानिकारक कीटों की उपस्थिति पर सतत निगरानी रखने तथा इससे बचाव के लिए प्रकाश प्रपंच उपकरण का उपयोग करने को कहा गया है। प्रकाश प्रपंच उपकरण फसल से थोड़ी दूर पर लगाकर शाम 6.30 बजे से रात्रि 10 बजे तक बल्ब जलाने तथा सुबह में वहां एकत्रित कीटों को नष्ट करने की समझाइश दी गयी है। धान फसल की उम्र 18 से 20 दिन हो जाने पर निदा नियंत्रण हेतु विसपायरीबैक सोडियम सक्रिय तत्व ( 10 प्रतिशत) 250 मिली या फिनाक्साप्राप पी इथाइल सक्रिय तत्व (9.3 प्रतिशत) 625 मिली प्रति हेक्टेयर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। किसान भाईयों को धान की फसल 20 से 25 दिन की अवस्था में हो जाने पर वियासी कर सघन चलाई करने को कहा गया है। रोपाई मे देरी एवं थरहा की अधिक उम्र को ध्यान में रखते हुए किसानों को एक स्थान पर 4-5 पौधों की रोपाई करने तथा रोपाई के समय उर्वरक की मात्रा में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की भी सलाह दी गई है, ताकि देर से रोपाई के कारण उत्पादन में विपरीत प्रभाव को कम किया जा सके। धान के रोपा वाले खेतों में लगभग 5 सेंटीमीटर पानी का भराव रखने की सलाह दी गई है । धान के ऐसे खेतों में, जहां पानी एक इकट्ठा नहीं हो रहा है, वहां हाथ से निदाई कर नत्रजन उर्वरक का छिड़काव किया जाना चाहिए। मक्का फसल 30 से 35 दिन की हो जाने पर निदाई-गुड़ाई करने तथा दलहनी एवं तिलहनी फसलों को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाने के लिए मेटासीस्टॉक्स (3 मिली प्रति लीटर पानी में) या नुआन (1 मिली प्रति 3 लीटर पानी ) का छिड़काव करने की समझाईश कृषि विभाग ने दी है। सफेद मक्खी के नियंत्रण से फसल में पीत शिरा रोग फैलने की संभावना कम हो जाती है। अरहर एवं दलहनी फसलों में पानी एकत्र न होने देने तथा जल निकास की व्यवस्था करने की समझाईश कृषकों दी गई है।