khallari mata

khallari mata माँ खल्लारी मंदिर महासमुंद से 23 km दूर बागबाहरा मार्ग पर ग्राम भीमखोज में स्थित है।जिला महासमुंद में कई पर्यटन स्थल जैसे बागबाहरा चंडी, कोसरंगी के सिद्ध बाबा व स्वप्न देवी महामाया,मामा भांजा मंदिर, सिरपुर, बेमचा खल्लारी, बिरकोनी चंडी, शक्ति माता हथखोज आदि अनिके दर्शनीय स्थल है।साथ ही यहाँ से राजीव लोचन मंदिर राजिम 30 km, चम्पारण 25 km की दुरी पर है।

खल्लारी माता मंदिर भीमखोज,जिला – महासमुंद इसका प्राचीन नाम खल्लवाटिका थी रायपुर विजयानगरम लाइन पर रायपुर से 46 मील दूर भीमखोज स्टेशन है वहा से यह स्थान 1 मील दूर है यहाँ चैत्र -पूर्णिमा पर पर तीन दिन का मेला रहता है पहाड़ के ऊपर दुर्गा जी का मन्दिर है उन्हें खल्लारी माता कहते है पर्वत का घेरा आधा मील से कुछ अधिक है यात्री पर्वत की परिक्रमा करते है

यहाँ चैत्र पक्ष और क्वांर में मनोकामना ज्योती भक्तो द्धारा जलाई जाती है पूरा वातावरण भक्ती मई हो जाता है यहाँ नव दिनो का विशाल भंडारा का आयोजन किया जाता है पर्वत के नीचे जहाँ मेला लगता है वहा नीचे वाली खल्लारी माता ,शिव मन्दिर ,श्री राम जानकी ,जगन्नाथ मन्दिर, काली माता कि प्रतिमा है और नये नए मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा है पर्वत के आसपास लगभग 120 तालाब था उनमे से कुछ विलुप्त होते जा रहे है माँ खल्लारी ऊपर वाली किवंदती-पुरानी मान्यताओ के

अनुशार माँ खल्लारी का आगमन महासमुन्द से निकट ग्राम -बेमचा से हुवा था इस सम्बन्ध में ऐसे किवंदती प्रचलित है कि ग्राम बेमचा से माता सोडसी का रूप धारण कर बाज़ार आया करती थी उसके रूप लावण्य से वशीभूत होकर एक बंजारा खल्लारी माता के पीछे पड़ गया बंजारा माता खल्लारी का पिछा करते हुवे पहाड़ी मंदिर तक आ गया उसके बाद माता क्रोध वस् उस बंजारा को पाषाण का बना दिया देवी माता खल्लारी में विलोपित हो गई और उसी पहाड़ी में माता निवाश करने लगी तब से देवी माँ खल्लारी का अशोगान किया जाता है एवँ चैत्र पूर्णिमा में भव्य मेला लगता है टिप:- माता जी का भोग लगने का समय सुबह 11 से 12 बजे तक मंदिर पट रहता है|

भीमखोज तक पहुचने के लिए सड़क एवम् रेलमार्ग दोनों की सुविधा है रेलवे स्टेशन से मंदिर की दुरी लगभग 2 km है। भीमखोज खल्लारी प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। माँ खल्लारी जी की मंदिर ऊपर पहाड़ी में स्थित है।

पहाड़ी पर जाने सीढ़िया 
पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है यहाँ कुल 842 सीढ़िया है। संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरो से निर्मित मंदिर देखकर आँखे ठहर जाती है। खल्लारी में पहाड़ी से निचे छोटी खल्लारी व् मंदिर के ऊपर पहाड़ी वाली बड़ी खल्लारी माता विराजमान है।

माँ खल्लारी का आगमन यहाँ महासमुंद के समीप स्थित ग्राम मचेवा से हुआ है। यह स्थान अनेक पौराणिक कथाओ को समेटे हुए है।