joharcg.com मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से रोमांचक खबर सामने आई है। दरअसल, मादा चीता नीरवा ने 22 नवंबर को चार स्वस्थ शावकों को जन्म दिया। इस घटना ने चीता संरक्षण परियोजना को नई ऊंचाई दी है। यह वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों के लिए बेहद उत्साहजनक है।

नामीबिया से लाई गई नीरवा ने बढ़ाया कूनो का गौरव

नीरवा, नामीबिया से लाई गई चीताओं में से एक है। उसने इस खास उपलब्धि को संभव बनाया। इन शावकों के जन्म के कारण, कूनो में चीतों की संख्या अब 28 हो गई है। यह भारत में चीतों की पुनर्स्थापना के प्रयासों की बड़ी सफलता है।

चीता संरक्षण परियोजना की ऐतिहासिक सफलता

चीतों को दोबारा भारत में बसाने का यह कदम महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि सही देखभाल और सुरक्षित पर्यावरण से वन्यजीव संरक्षण संभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये शावक मध्य प्रदेश के कूनो के पर्यावरण को और समृद्ध करेंगे। साथ ही, यह भारत में चीता प्रजाति के पुनरुत्थान की दिशा में अहम साबित होगा।

मां और शावकों की सुरक्षा पर खास ध्यान

नीरवा और उसके शावकों की देखभाल के लिए वन्यजीव अधिकारियों ने विशेष कदम उठाए हैं। कूनो पार्क प्रशासन ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निगरानी बढ़ा दी है। शावक फिलहाल अपनी मां पर निर्भर हैं। आने वाले महीनों में उनके स्वास्थ्य और विकास पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने साझा की जानकारी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस खबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। हालांकि, उन्होंने शावकों की संख्या स्पष्ट नहीं की। कूनो नेशनल पार्क में पहले से 24 चीते मौजूद थे। इनमें 12 वयस्क और 12 शावक शामिल थे। नीरवा के चार शावकों के जन्म के बाद कुल संख्या बढ़कर 28 हो गई है।

चीतों की बढ़ती संख्या भारतीय वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। यह जैव-विविधता के संरक्षण की दिशा में भारत के योगदान को भी रेखांकित करती है।