प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

joharcg.com प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते हुए आज 34 हजार से ज्यादा स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया है। एसोसिएशन के नेताओं ने बताया कि यह फैसला फीस बढ़ोतरी, स्कूलों की वित्तीय परेशानियों और सरकार की नीति के खिलाफ लिया गया है। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई कुछ नई नीतियों और बिना उचित चर्चा के फीस पर लगाए गए प्रतिबंध स्कूलों के लिए नुकसानदेह हैं।

एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे पास विकल्प नहीं था। सरकार की नीतियां स्कूलों के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रही हैं। हम अपने बच्चों की शिक्षा को बाधित नहीं करना चाहते, लेकिन अगर सरकार ने हमारे मुद्दों का समाधान नहीं किया तो यह विरोध और भी तेज हो सकता है।”

आज से शुरू होने वाले इस हड़ताल में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और अन्य प्रमुख शहरों के प्राइवेट स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों के बंद होने से लाखों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूलों के बंद होने के कारण छात्रों और उनके अभिभावकों में चिंता का माहौल है। कई अभिभावक इस समय की समस्या को लेकर परेशान हैं, क्योंकि परीक्षा का समय नजदीक आ रहा है।

एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि वह प्राइवेट स्कूलों की वित्तीय स्थिति को समझे और उनकी समस्याओं का समाधान निकाले। इसके अलावा, उन्होंने स्कूलों के लिए एक उचित फीस संरचना तय करने की भी अपील की है।

हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन शिक्षाविभाग के सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों को इस मामले को सुलझाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। अगर जल्दी कोई समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।

इस बीच, अभिभावकों और छात्रों के लिए यह समय कठिन साबित हो रहा है, क्योंकि स्कूलों के बंद होने से पढ़ाई में विघ्न उत्पन्न हो सकता है।

भोपाल। बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बड़ा कदम उठाया है। एसोसिएशन ने मान्यता के नियम में रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की शर्त के विरोध में बंद का आह्वान किया है। गुरुवार (30 जनवरी) को एमपी बोर्ड के पहली से आठवीं कक्षा तक के 34 हजार प्राइवेट स्कूल बंद रहेंगे। भोपाल, इंदौर, उज्जैन सहित सभी जिलों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी। प्रदेश भर के 34 हजार स्कूलों के संचालक गुरुवार को गांधी प्रतिमाओं पर जाकर ज्ञापन सौंपेंगे।

एसोसिएशन का कहना है कि नए नियमों से छोटे और मध्यम स्तर के स्कूलों के संचालन में कठिनाई होगी, इसलिए एसोसिएशन इन शर्तों को हटाने की मांग कर रहे हैं। एसोसिएशन की मांग है कि 8वीं कक्षा तक के स्कूलों की मान्यता के लिए रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त निरस्त की जाए। पहले की तरह नोटरी किरायानामा लागू किया जाए।

मान्यता के लिए 40 हजार रुपए की सुरक्षा निधि लेने पर रोक लगे। शिक्षा का अधिकार (RTE) की राशि समय पर दी जाए। मान्यता शुल्क में की गई वृद्धि को समाप्त किया जाए।
मध्य प्रदेश सरकार ने पहली से 8वीं कक्षा तक की मान्यता के नियमों में बदलाव किए हैं। सरकार ने रजिस्टर्ड किरायानामा अनिवार्य किया है। 40,000 रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट जमा करने का नियम बनाया है। मान्यता शुल्क में वृद्धि  की है। सरकार के नए नियमों का एमपी बोर्ड प्राइवेट ने विरोध किया है। एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जो स्कूल पहले से चल रहे हैं, उन्हें इस नियम से बाहर रखा जाए।

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट करने में दिक्कत
एसोसिएशन का कहना है कि वे किसी लॉ या सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन रजिस्टर्ड किराया नामा प्रैक्टिकल नहीं है। कई स्कूल किराए की बिल्डिंग में चलते हैं। तीन साल या पांच साल का रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट करने में दिक्कतें आ रही हैं। पहली से आठवीं क्लास तक की मान्यता के नियम में जो रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की बात की गई है, उस पर दोबारा विचार किया जाए।
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