उज्जैन में स्थापित

joharcg.com हमारी जानकारी के लिए यह खुशी की बात है कि मध्य प्रदेश के उज्जैन ने ‘सबसे बड़े डमरू समूह’ श्रेणी के तहत एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में लगभग 1,500 लोगों ने एक साथ छोटे बिजली के ड्रम बजाकर इस रिकॉर्ड को स्थापित किया। इस प्रयास के माध्यम से उज्जैन ने विश्व को अपनी धरोहर क्षेत्र में एक नया उल्लेख दिया है। डमरू भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उपयोग विभिन्न धार्मिक आचार्यों और वाद्य वादकों द्वारा किया जाता है।

यह रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए लोगों ने एक साथ मिलकर डमरू बजाने का प्रयास किया, जिससे सामूहिक एकता और सहयोग की मिसाल प्रस्तुत की गई। इसके साथ ही, यह रिकॉर्ड उज्जैन की संस्कृति और विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करता है। मध्य प्रदेश की धरोहर और संस्कृति को आगे बढ़ाने में लोगों का यह सामूहिक उत्साह और भावनात्मक सामर्थ्य मान्य है। यह नया रिकॉर्ड भारतीय संस्कृति और विरासत को अग्रणी स्थान पर ले जाने में मददगार साबित हो सकता है।

इस उपलब्धि से हमारी एक विशेष अभिवादन उज्जैन के लोगों को जाता है, जिन्होंने इस रिकॉर्ड को स्थापित करने में अपना योगदान दिया। यह उत्साहपूर्ण प्रयास हमें हमारी संस्कृति और विरासत के प्रति गर्व महसूस कराता है और हमें विश्वास दिलाता है कि हमारी संस्कृति दुनिया में अज्ञाती प्राप्त कर सकती है। उज्जैन के इस रिकॉर्ड तोड़ने वाले सभी लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आम लोगों ने इस प्रयास में भाग लेकर अपनी भागीदारी और साहय्यता दिखाई है, जो एक सफल समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह उज्जैन के लिए गर्व का क्षण है और उम्मीद है कि वे और भी ऐसी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल करते रहेंगे। यह रिकॉर्ड भारतीय संस्कृति और विरासत के प्रति हमारे गहरे सम्मान का प्रतीक है, और हमें आशा है कि यह आगे भी बढ़ता रहेगा। उज्जैन को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं। यह साबित करता है कि भारतीय संस्कृति की शक्ति और सामूहिकता में कोई कमी नहीं है, और हमें इसे सजीव और मजबूत बनाए रखना चाहिए

उज्जैन में एक नई विश्व रेखा का उद्घाटन किया गया, जो न केवल धार्मिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहल के रूप में भी देखा जा रहा है। इस विशेष अवसर पर, शहरवासियों और श्रद्धालुओं ने डमरू बजाकर इस नई रेखा की स्थापना की, जो क्षेत्रीय संस्कृति और धार्मिकता का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।

नई विश्व रेखा का उद्घाटन एक भव्य समारोह के तहत किया गया, जिसमें स्थानीय धार्मिक और सामाजिक नेताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए, जो इस कार्यक्रम की दिव्यता और महत्व को दर्शाते हैं। डमरू बजाने की परंपरा इस अवसर को और भी खास बना गई, क्योंकि डमरू भगवान शिव का प्रिय वाद्ययंत्र है और इसे धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

उज्जैन के स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने इस नई विश्व रेखा की स्थापना को एक ऐतिहासिक घटना मानते हुए उत्साह और भक्ति के साथ समारोह में भाग लिया। समारोह के दौरान, डमरू बजाते हुए लोग न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन कर रहे थे, बल्कि यह उनके सामूहिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शा रहा था।

उद्घाटन समारोह में भाग लेने वाले प्रमुख धार्मिक नेताओं ने इस नई विश्व रेखा की स्थापना को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह रेखा न केवल उज्जैन की धार्मिक धरोहर को समृद्ध करेगी, बल्कि यह लोगों को धार्मिकता और एकता की ओर भी प्रेरित करेगी।

शहर के लोगों ने इस अनोखे आयोजन को लेकर गहरी खुशी और संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इसे न केवल धार्मिक महत्व की बात मानी, बल्कि इसे शहर की सांस्कृतिक पहचान और समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखा। यह आयोजन उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ इसे आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, यह आयोजन पूरे मध्यप्रदेश में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने में भी मदद करेगा।

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