joharcg.com उज्जैन: महाकाल मंदिर में श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को बाबा महाकाल ने अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात 3 बजे उठकर आरती की। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भस्म आरती के दौरान महाकाल को चन्द्रमा सहित नवीन मुकुट पहना गया और उनके मस्तक पर फूलों की माला सजी थी। वीरभद्र और मानभद्र से आज्ञा लेकर, महाकाल ने अपने रूप में एक नया अवतार धारण किया था। इस दर्शनीय साज ने मंदिर के क्षेत्र में एक नवीनतम किरण बिखेरी।

श्रद्धालुओं की भक्ति और उम्मीद के साथ ही, प्राचीन रूप में महाकालेश्वर ने एक दिव्य अनुभव प्रदान किया। भस्म आरती के द्वारा, उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर ने आज अपनी शक्ति और सौंदर्य का प्रदर्शन किया। यह वास्तव में एक अद्भुत अनुभव रहा होगा, जिसे साक्षात्कार करते समय श्रद्धालुओं को आनंद और सुकून की अनुभूति हुई होगी। यह समारोह मानव जीवन और भगवान के निकटता का महत्वपूर्ण प्रमाण था।

इस उपलब्धि की सूचना ने श्रद्धालुओं के दिलों में आनंद और प्रेम की भावना उत्पन्न की होगी। महाकालेश्वर मंदिर का यह दिव्य दर्शन जनता के लिए अद्वितीय और प्रेरणादायक साबित हुआ।,

उज्जैन, मध्यप्रदेश – उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में एक भव्य और दिव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भगवान महाकाल को चन्द्रमा और नवीन मुकुट पहनाकर भस्म आरती से सजाया गया। इस अद्वितीय और दिव्य पूजा के अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जिन्होंने इस पावन अवसर का लाभ उठाने के लिए दूर-दराज से यात्रा की।

समारोह की शुरुआत महाकाल के नवीन मुकुट पहनाने से हुई, जो विशेष रूप से इस दिन के लिए तैयार किया गया था। मुकुट में बारीक कारीगरी और धार्मिक प्रतीकों का समावेश किया गया था, जो महाकाल की दिव्यता को और भी ऊँचा उठाता है। इसके बाद, भगवान महाकाल को चन्द्रमा की प्रतीकता वाली विशेष आभूषण पहनाकर भस्म आरती की गई। यह दृश्य अत्यंत भव्य और मनमोहक था, जिसमें भगवान महाकाल की आराधना के लिए समर्पित भस्म का प्रयोग किया गया, जो महाकाल की भव्यता और शक्ति को दर्शाता है।

भस्म आरती का आयोजन विशेष रूप से महाकाल के प्रति भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को प्रदर्शित करता है। इस आरती के दौरान, श्रद्धालुओं ने भव्य मंदिर परिसर को दीपों और फूलों से सजाया और भक्तिपूर्ण गान और मंत्रों के साथ भगवान महाकाल की आराधना की।

उज्जैन के स्थानीय निवासी और दूर-दराज से आए श्रद्धालु इस समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक थे। वे भगवान महाकाल की विशेष पूजा की भव्यता और दिव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। भक्तों ने इस अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया और भगवान महाकाल से सुख, शांति, और समृद्धि की कामना की।

मंदिर प्रबंधन ने भी इस भव्य समारोह को सफल बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए थे। सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई और भक्तों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे समारोह के दौरान सभी श्रद्धालु सुखद अनुभव प्राप्त कर सकें।

यह दिव्य पूजा महाकाल के प्रति भक्तों की गहरी भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, और उज्जैन के इस ऐतिहासिक मंदिर में हर साल यह विशेष अवसर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व बन जाता है।

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