joharcg.com मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हाल ही में मध्यप्रदेश में चीता प्रजाति के पुनर्निवेश अभियान की सफलता पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य की जैव विविधता को प्रोत्साहित करेगा और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह ऐतिहासिक परियोजना न केवल मध्यप्रदेश की प्राकृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि इसे एक नया पर्यटक आकर्षण भी मिलेगा। डॉ. यादव ने कहा, “चीता भारतीय वन्यजीवों की एक महत्वपूर्ण प्रजाति है, जो अपनी तेज रफ्तार और अद्वितीय शिकार कौशल के लिए प्रसिद्ध है। इस परियोजना से हमें उम्मीद है कि यह प्रजाति फिर से हमारे जंगलों में रफ्तार भर सकेगी।”
मध्यप्रदेश में चीता पुनर्निवेश की यह परियोजना देश के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों का हिस्सा है। राज्य सरकार इस पहल को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसे सफल बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी बताया कि चीते के पुनर्निवेश से मध्यप्रदेश में जैव विविधता में इजाफा होगा, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभकारी साबित होगा। इसके अलावा, इस परियोजना से स्थानीय रोजगार में वृद्धि की संभावना भी है।
इस परियोजना के अंतर्गत, चीते की संख्या बढ़ाने के लिए उचित निगरानी और संरक्षित क्षेत्रों में उनके प्राकृतिक आवास की स्थिति को सुधारने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राज्य की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों की सराहना की और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने की अपील की।
डॉ. यादव ने अंत में कहा, “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम मध्यप्रदेश को वन्यजीवों का सुरक्षित आश्रय स्थल बना रहे हैं, और चीते की रफ्तार से यह और भी उज्जवल होगा।”
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यह देखकर अत्यंत सुख की अनुभूति होती है कि कभी एशिया महाद्वीप से विलुप्त हो चुके चीते आज मध्यप्रदेश की पावन धरा पर रफ्तार भर रहे हैं और अपना कुनबा भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “जीव चराचर जंतु समाना’’ की भावना वाले मध्यप्रदेश की धरा अद्भुत है, जो वन्य-जीवों की आश्रय-स्थली बन गई और कई विलुप्तप्राय वन्य-प्राणियों की अठखेलियों का आँगन है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिये वन्य-जीवन को सहेज कर रखने और जैव-विविधता के संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध हैं और आगे भी ऐसे नवाचारों के मध्यप्रदेश की पुण्य धरा को गौरवान्वित करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बुधवार को पालपुर-कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता आशा, धीरा और आशा के 3 शावकों को बाड़े से खुले जंगल में स्वछंद विचरण के लिये मुक्त किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चीतों की पुनर्स्थापना से कूनो की पर्यटन के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पहले 2 चीते खुले जंगल में छोड़े थे, जिससे वन्य जीवन में चीतों की पुन: बसाहट हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज 5 चीतों को जंगल में छोड़ने का अवसर मिला है। मैं प्रदेशवासियों को इसकी बधाई देता हूँ।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि परमात्मा करे कि यह चीते अच्छे से बढ़ें और पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र बन सकें। उन्होंने वन्य-जीव संरक्षण और नेशनल पार्क की जैव-विविधता की सुरक्षा में जुटे कर्मियों के समर्पण की सराहना की और उनके कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता जताई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कूनो अभयारण्य में ईको-टूरिज्म की पहल को प्रोत्साहित किया। इससे न केवल संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिये रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि चीतों की पुनर्स्थापना के लिये भविष्य में कूनो राष्ट्रीय उद्यान को एक आदर्श वन्य-जीव अभयारण्य बनाने के लिये आवश्यकतानुसार प्रबंध किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव को ग्रामीण आजीविका मिशन की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने जड़ी-बूटियों से निर्मित राखी भेंट की।
कूनो नेशनल पार्क से अभी तक 7 चीतों को जंगल में स्वछंद विचरण के लिये छोड़ा गया है। कूनो में वीरा के नये 2 शावकों को मिलाकर कुल 26 चीते हो गये हैं। इन चीतों की मॉनीटरिंग के लिये 2 दल गठित किये गये हैं, जो छोड़े गये शावकों की निगरानी और सुरक्षा करेंगे।
कूनो नेशनल पार्क में चीता रिलीज कार्यक्रम के दौरान कमिश्नर ग्वालियर-चंबल श्री मनोज खत्री, आई.जी. चंबल श्री सुशांत सक्सेना, कलेक्टर श्योपुर श्री अर्पित वर्मा, सीसीएफ श्री उत्तम शर्मा और डीएफओ कूनो श्री आर. थिरुकुराल सहित प्रशासनिक एवं वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।