माँ काली कंकाली की

joharcg.com भारत में धार्मिक उत्सव और त्योहारों की विशेषता सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होती, बल्कि इनसे जुड़े कई चमत्कार और रहस्यमयी घटनाएं भी लोगों के मन में आस्था और विस्मय को बढ़ाती हैं। ऐसा ही एक अद्भुत चमत्कार शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दशहरे के दिन माँ काली कंकाली की मूर्ति के साथ देखा जाता है, जब उनकी टेढ़ी गर्दन अचानक सीधी हो जाती है। यह घटना भक्तों के लिए आश्चर्य और आस्था का संगम होती है, और इस रहस्यमयी घटना के बारे में जानने के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं।

माँ काली कंकाली की कथा

माँ काली कंकाली को शक्ति और तांडव का प्रतीक माना जाता है। उनकी मूर्ति में उन्हें अक्सर एक अद्वितीय रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें उनकी गर्दन थोड़ी टेढ़ी होती है। किंवदंती है कि माँ काली इस रूप में जब क्रोध में होती हैं, तब उनकी गर्दन टेढ़ी हो जाती है, और जैसे ही उनका क्रोध शांत होता है, उनकी गर्दन सीधी हो जाती है। यह घटना खासतौर पर नवरात्रि के नौ दिनों में और दशहरे के दिन देखने को मिलती है, जब उनकी मूर्ति की गर्दन एक चमत्कारी तरीके से सीधी हो जाती है।

शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के दौरान माँ काली की पूजा का विशेष महत्व है। इन दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और माँ काली का क्रोध और शक्ति इस पूजा के प्रमुख पहलुओं में से एक है। दशहरे के दिन, जब माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, माँ काली की टेढ़ी गर्दन का सीधा होना एक चमत्कारिक घटना के रूप में देखा जाता है। इस दिन को राक्षसों के नाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है, और माँ काली का यह रूप इस विचार को और प्रबल करता है।

माँ काली कंकाली की मूर्ति में यह परिवर्तन एक ऐसी घटना है जिसे कई भक्त अपनी आँखों से देखने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। माना जाता है कि जैसे-जैसे नवरात्रि समाप्त होती है और दशहरा आता है, माँ काली का क्रोध शांत हो जाता है और उनकी टेढ़ी गर्दन सीधी हो जाती है। यह घटना भक्तों में भक्ति और विस्मय का भाव उत्पन्न करती है, और इसे देखने के लिए देशभर से लोग मंदिरों और पूजा स्थलों की ओर आकर्षित होते हैं।

यह चमत्कार सिर्फ धार्मिक आस्था का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि माँ काली की शक्ति और कृपा को भी दर्शाता है। उनके इस रूप को देखकर भक्त यह मानते हैं कि देवी की उपस्थिति और उनकी शक्ति आज भी हमारे बीच विद्यमान है। हर साल दशहरे के दिन यह घटना एक बार फिर से भक्तों की आस्था को पुष्ट करती है और उनके मन में माँ काली के प्रति अटूट श्रद्धा का संचार करती है।

माँ काली कंकाली की टेढ़ी गर्दन का दशहरे के अवसर पर सीधा होना एक ऐसी घटना है, जो न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि चमत्कार और आस्था का एक अद्भुत उदाहरण भी है। यह घटना देवी की शक्ति और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाती है। हर साल इस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए हजारों भक्त उमड़ते हैं, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव के रूप में महसूस करते हैं।

रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज ब्लॉक में स्थित मां काली कंकाली का मंदिर एक प्राचीन स्थल है जो लगभग 400 साल पुराना है। इस मंदिर की विशेषता है कि शारदीय चैत्र नवरात्रि पर धारण की जाने वाली Maa Kali Kankali की टेढ़ी गर्दन विजयादशमी के दिन सीधी हो जाती है। इस मान्यता के अनुसार, जब शारदीय नवरात्रि का इन नौ दिनों का त्योहार आता है तो मां काली कंकाली का आकार भी बदल जाता है। यहाँ की भक्ति भावना और परंपरागत मान्यताएं इस मंदिर को अद्वितीय बनाती हैं।

इस स्थल पर उमड़ती भक्ति और श्रद्धा ने इसे एक नया आकार दिया है और भक्तों में शारदीय चैत्र नवरात्रि के दौरान उमंग और आनंद का माहौल छाया है। त्योहार के दिन मंदिर में खास पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तों की भीड़ इसे एक अद्वितीय माहौल देती है। विजयादशमी के दिन मां काली कंकाली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग बारिश की भींभ बनाकर मंदिर के प्रवेश द्वार में जाते हैं।

इस अद्भुत प्रयास से मां काली कंकाली का टेढ़ा प्रतीक सीधा हो जाता है और भक्तों को आनंद और प्रसन्नता मिलती है। इस विशेष त्योहार के माध्यम से लोग धार्मिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करते हैं और समाज में एकता और समरसता का संदेश फैलाते हैं। यहां की परंपरा और भक्ति की माहौलों ने इसे एक निहाल करने वाला स्थल बना दिया है और इसे एक अद्वितीय और रोमांचक अनुभव बनाता है। यहाँ की भक्ति और श्रद्धा का माहौल भक्तों को एक अलग परिमाण में संतुष्ट करता है।

इस त्योहार के दिन भक्तों की भीड़ में रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजी देवी-देवताओं के भक्तों का नृत्य-मंत्र सुनाई देता है और यह सब विश्वास और आस्था को प्रकट करता है। इस स्थल पर चढ़कर मिलने वाली खुशियों और आनंद की छाया भक्तों को धार्मिक और मानवीय मूल्यों का महत्व समझाती है। यहाँ की मान्यताएं और धारणाएं भक्तों में नई ऊर्जा और जोश भरती हैं।

इस प्राचीन मंदिर का यह कार्यक्रम लोगों के आत्मविश्वास और आत्मसमर्पण को मजबूत करता है और उन्हें धार्मिक और मानवीय सामर्थ्य में नई ऊर्जा प्रदान करता है। शारदीय चैत्र नवरात्रि के दौरान इस मंदिर का यह कार्यक्रम विशेष रुप से महत्वपूर्ण होता है और लोग इसे खासतौर से मनाते हैं।,

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