joharcg.com वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री रामनिवास रावत ने हाल ही में एक संवाद कार्यक्रम में लघु वनोपज संग्रहण से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को वन-धन केन्द्रों से जोड़ने की योजना की घोषणा की। श्योपुर जिले में वनोपज की प्रचुरता को देखते हुए उन्होंने बताया कि यहां हजारों परिवार इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और उन्हें उचित सुविधाओं की आवश्यकता है।
लघु वनोपज संग्रहणकर्ताओं से संवाद कार्यक्रम
श्री रावत ने कराहल जनपद पंचायत के सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित महिला वनोपज संग्रहणकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वन-धन केन्द्रों के माध्यम से इन समूहों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। उन्होंने वनोपज संग्रहण में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों और तेंदूपत्तों के महत्व पर भी चर्चा की, यह बताते हुए कि ये न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं, बल्कि महिलाओं के लिए भी रोजगार का एक सशक्त माध्यम हैं।
कार्यक्रम के दौरान, महिलाओं ने कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना की मांग भी उठाई, जिस पर मंत्री ने विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वन-धन केन्द्रों से इन समूहों को जोड़ने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, ताकि वनोपज संग्रहण करने वाले परिवारों को आवश्यक सुविधाएं मिल सकें।
संवाद कार्यक्रम में क्लस्टर लेवल फेडरेशन गोरस की अध्यक्ष श्रीमती सुनीता, बरगवा सीएलएफ की अध्यक्ष श्रीमती प्रीति और आवदा सीएलएफ की उपाध्यक्ष श्रीमती गुड्डी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त, एनआरएलएम के द्वारा कराहल क्षेत्र में चलाए जा रहे 3647 समूहों का उल्लेख किया गया, जिनमें लगभग 40 हजार महिलाएँ जुड़ी हुई हैं।
इस पहल से न केवल वनोपज संग्रहणकर्ताओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होगा। वन मंत्री श्री रावत ने संवाद कार्यक्रम में उपस्थित वन विभाग के अधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों को भी इस दिशा में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित किया।