joharcg.com पर्युषण पर्व के दौरान जैन समाज और आईजा (ऑल इंडिया जैन एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। इन दोनों संगठनों ने मिलकर कत्लखानों और मांस विक्रय को रोकने के लिए एक ज्ञापन प्रस्तुत किया है। यह ज्ञापन स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को सौंपा गया है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि पर्युषण पर्व के दौरान मांस विक्रय और कत्लखानों को बंद रखा जाए।

पर्युषण पर्व जैन धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे आत्मशुद्धि और अहिंसा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान जैन समाज के लोग विशेष रूप से अहिंसा का पालन करते हैं और जीव हिंसा से बचने का संकल्प लेते हैं। इस संदर्भ में, जैन समाज और आईजा का यह प्रयास है कि इस पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की जीव हिंसा न हो और मांस विक्रय पर रोक लगाई जाए।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस कदम से समाज में शांति और सद्भाव का संदेश जाएगा। जैन समाज ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करें और पर्युषण पर्व के दौरान मांस विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

आईजा के प्रतिनिधियों ने बताया कि उनका यह प्रयास समाज में अहिंसा के संदेश को और भी मजबूत करने के लिए है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन इस ज्ञापन पर उचित कदम उठाता है, तो इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और पर्व की पवित्रता भी बनी रहेगी।

इस पहल के तहत जैन समाज और आईजा ने सभी नागरिकों से भी अपील की है कि वे इस पर्व के दौरान अहिंसा का पालन करें और मांसाहार से बचें। उनका मानना है कि इस प्रकार का सामूहिक सहयोग समाज में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देगा।

पर्युषण पर्व का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व है। इस समय जैन समुदाय के अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व ‘पर्युषण’ के दौरान मांस विक्रय और कत्लखाने को बंद करने का आईजा और जैन समाज ने किया ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय जीवदया प्रेमी सत्य अहिंसा प्रधान जैन धर्म की महत्वपूर्ण सिद्धांतों को मनाने का एक और उदाहरण है। जैन समुदाय के लोगों ने पर्व के अवसर पर ऐसे कदम उठाकर समाज में उत्कृष्टता और शांति का संदेश बताया है।

इस महापर्व के दौरान जैन समाज ने देशभर में कत्लखानों और मांस विक्रय स्थानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने समाज को धार्मिक संदेश और जीवन का मूल्य समझाने के लिए इस कदम को उठाया है।

जैन समुदाय के लोगों ने समाज के लोगों से अपील की है कि वे इस पर्व के दौरान मांस विक्रय और कत्लखानों का समर्थन न करें और अहिंसा के मार्ग पर चलकर समुदाय को समृद्धि और शांति मिले।

इस निर्णय से जैन समुदाय ने समाज के धर्मिक और सामाजिक मूल्यों को महत्व देते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। इस पर्व के महत्व को समझते हुए उन्होंने जीवन के मूल्य और भावनाओं का महत्व समझाया है।

यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे जैन समाज ने अहिंसा, धर्मिकता और मानवता के मूल्यों को मजबूत किया है। इसे समर्थन देना हम सभी का कर्तव्य है ताकि समाज में अहिंसा और एकता की भावना को मजबूती प्राप्त हो।,

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