joharcg.com मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के जेल में 50 कैदियों ने नवरात्रि के शुभ अवसर पर माता रानी की भक्ति में डूबकर एकजुटता और एकता का संदेश दिया है। इन कैदियों ने एक साथ पूजा-अर्चना के साथ-साथ रोजाना व्रत भी रखा है। जेल प्रशासन ने इन कैदियों को नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की भक्ति का माहौल देने के लिए संगठित किया है। अभी तक 50 कैदियों ने इस अद्भुत खुशी में भाग लिया है और उन्होंने बताया है कि उनको इस दौरान पुरानी सारी दुःख और दर्द भूल जाने का मौका मिला है।
कैदियों के कहने पर, जेल प्रशासन के अधिकारी ने इस अद्भुत पहल की सराहना की है और उन्होंने इसे एक प्रेरणास्त्रोत बताया है। उन्होंने कहा कि इस सामाजिक संदेश को आगे बढ़ाने के लिए कई और कैदियों को भी इस प्रकार की कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा।
मां दुर्गा के पूजन से प्रेरित होकर ये कैदियां दिन-रात व्रत रख रही हैं और उन्होंने इसे अपने आत्मिक उन्नति के लिए एक सशक्त उपाय माना है। इस प्रकार की उत्तम पहल के माध्यम से ये कैदियां अब समाज के एक अच्छे सदस्य के रूप में अपने जीवन को एक नए दिशा दे रहे हैं।
जब भी हम जेल का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में अक्सर एक कठोर और दुखदायक तस्वीर उभरती है। लेकिन इस बार नवरात्रि के मौके पर कुछ ऐसा हो रहा है जो इस धारणा को बदल सकता है। जेल की कठोर दीवारों के बीच भी भक्ति और श्रद्धा का माहौल छा गया है। 50 कैदी, जिन्होंने अपने जीवन में कुछ गलत फैसले किए, आज माता रानी की भक्ति में पूरी तरह डूबे हुए हैं और नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं।
नवरात्रि के पावन दिनों में ये कैदी हर दिन देवी दुर्गा की पूजा और आराधना कर रहे हैं। व्रत के दौरान वे केवल फलाहार ग्रहण कर रहे हैं और अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। इन कैदियों के लिए यह न केवल भक्ति का अवसर है बल्कि आत्ममंथन का भी समय है। जेल के भीतर रहकर भी वे अपनी आध्यात्मिक उन्नति की राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं।
इन कैदियों ने बताया कि उन्होंने नवरात्रि का व्रत रखने का संकल्प जेल में ही लिया। उनमें से कईयों का कहना है कि उन्हें जेल में रहकर ही यह महसूस हुआ कि उनके जीवन में आध्यात्मिकता और भक्ति की कितनी कमी रही है। उन्होंने माना कि जेल में आकर उन्हें अपने किए गए पापों और गलतियों का पश्चाताप करने का समय मिला। माता रानी की भक्ति ने उन्हें यह मौका दिया कि वे अपने जीवन को एक नए सिरे से शुरू कर सकें।
इन कैदियों का मानना है कि जेल के कठिन जीवन ने उन्हें भीतर से तोड़ने के बजाय मजबूत बनाया है। वे बताते हैं कि नवरात्रि के व्रत ने उनके भीतर एक नई ऊर्जा और शांति का संचार किया है। यह व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि उनके लिए मानसिक और आत्मिक शुद्धिकरण का साधन भी बन गया है।
जेल अधिकारियों का भी कहना है कि इन कैदियों का व्यवहार और दृष्टिकोण इस दौरान काफी बदल गया है। जहां पहले उनके भीतर गुस्सा और हताशा थी, वहीं अब शांति और समर्पण की भावना दिखाई देती है। जेल प्रशासन ने भी इन कैदियों के भक्ति के प्रति झुकाव को देखकर उनकी मदद की है, और पूजा की सामग्री तथा फलाहार की व्यवस्था की है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन के किसी भी मोड़ पर हम अपनी गलतियों से सीख सकते हैं और अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। इन कैदियों ने भले ही समाज के नियमों को तोड़ा हो, लेकिन माता रानी की भक्ति के माध्यम से वे अपने भीतर की अच्छाई को फिर से खोजने का प्रयास कर रहे हैं। वे नवरात्रि के पवित्र दिनों में देवी दुर्गा की आराधना कर यह संदेश दे रहे हैं कि भक्ति का मार्ग किसी भी परिस्थिति में अपनाया जा सकता है।
इन कैदियों की यह प्रेरणादायक कहानी हमें यह बताती है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, यदि हमारे मन में भक्ति और सुधार की भावना हो, तो हम अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। यह नवरात्रि उन कैदियों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक बन गई है,
जो अब अपने जीवन को भक्ति, शांति और सुधार की ओर ले जाने के लिए दृढ़संकल्पित हैं।यह स्तर्लिंग कहानी हमें यह दिखती है कि भक्ति, एकता और सामूहिकता की शक्ति किसी भी परिस्थिति में बदलाव ला सकती है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक साबित हो सकती है।