joharcg.com इंदौर सेंट्रल जेल के कैदियों ने इस वर्ष नवरात्रि उत्सव को एक खास और यादगार तरीके से मनाया। जेल की चारदीवारी के भीतर, जहां आमतौर पर सन्नाटा होता है, इस बार नवरात्रि के उत्सव ने एक नई रौनक भर दी। कैदियों ने गरबा और आदिवासी लोक नृत्य करते हुए इस धार्मिक त्योहार को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया।
नवरात्रि हिंदू धर्म में शक्ति और स्त्रीत्व की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इंदौर सेंट्रल जेल प्रशासन ने इस अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें कैदियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का मौका दिया गया।
जेल प्रशासन की यह पहल न केवल धार्मिक त्योहार को मनाने के लिए थी, बल्कि इसका उद्देश्य कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य और सुधार की दिशा में कदम बढ़ाना था। इस प्रकार के सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन कैदियों को एक सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद करता है।
इस नवरात्रि उत्सव में कैदियों ने गरबा नृत्य के साथ-साथ आदिवासी लोक नृत्य की भी शानदार प्रस्तुति दी। गरबा, जो नवरात्रि के दौरान गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में खेला जाने वाला पारंपरिक नृत्य है, जेल में भी धूमधाम से मनाया गया। कैदियों ने रंग-बिरंगी वेशभूषा पहनकर मां दुर्गा की आराधना की और गरबा के पारंपरिक गीतों पर थिरकते नजर आए।
इसके साथ ही आदिवासी लोक नृत्य ने इस कार्यक्रम में और भी रंग भर दिए। जेल में कैद आदिवासी समुदाय के कैदियों ने अपने पारंपरिक लोक गीतों और नृत्यों के जरिए सभी का ध्यान आकर्षित किया। यह नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि यह उनकी संस्कृति और धरोहर को प्रदर्शित करने का एक जरिया था।
जेल के कैदियों के लिए यह आयोजन एक नया और प्रेरणादायक अनुभव था। जेल की नियमित दिनचर्या से बाहर आकर, उन्होंने इस उत्सव में भाग लेकर खुद को धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से जोड़ा। कैदियों का कहना था कि यह आयोजन उन्हें मानसिक रूप से राहत देने वाला साबित हुआ और उन्हें अपनी आंतरिक भावनाओं को सकारात्मक रूप से व्यक्त करने का अवसर मिला।
एक कैदी ने बताया, “हमने यहां गरबा और लोक नृत्य करते हुए अपनी चिंताओं को कुछ देर के लिए भुला दिया। यह हमें आत्मिक रूप से जुड़ने और खुद को सुधारने का मौका देता है।”
जेल प्रशासन की यह पहल कैदियों के सुधार और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें एक नई दिशा प्रदान करता है। इससे कैदियों के बीच अनुशासन और सहयोग की भावना भी विकसित होती है, जो जेल जीवन में सुधार की प्रक्रिया को गति देता है।
जेल प्रशासन ने कहा, “इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से कैदियों के बीच अनुशासन और सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है। नवरात्रि का यह आयोजन हमारे कैदियों के जीवन में आशा और सुधार का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य है कि वे न केवल अपनी सजा पूरी करें, बल्कि जीवन को नई दृष्टि से देखना सीखें।”
इंदौर सेंट्रल जेल का यह नवरात्रि उत्सव यह दर्शाता है कि सुधार गृहों में कैदियों के लिए केवल दंडात्मक दृष्टिकोण ही नहीं, बल्कि उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ना भी आवश्यक है। यह पहल कैदियों को समाज का एक सकारात्मक और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करती है।
इंदौर: इंदौर सेंट्रल जेल में ने कैदियों ने देवी दुर्गा के महापर्व नवरात्रि के अवसर पर गर्बा में भाग लिया और आदिवासी लोक नृत्य किया। जेल प्रशासन ने हर साल होने वाली परंपरा को जारी रखते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
सुप्रीम कोर्ट की मान्यता के तहत, जेल में मनाया गया नवरात्रि का उत्सव था एक अनूठा और नवाचारी अनुभव। इस अवसर पर, कैदियों ने जेल के अंदर एक साथ मिलकर गर्बा किया और आदिवासी लोक नृत्य का आनंद लिया। इस आयोजन में सभी कैदियों ने भाग लिया और साथ ही जेल के कर्मचारियों भी उनके साथ गर्बा किया। यह स्वर्गीय देवी दुर्गा के उत्सव के दौरान कैदियों के मनोरंजन और प्रेरणादायक अवसर का हिस्सा बना।
कार्यक्रम के दौरान, कैदियों ने नाचते हुए देवी दुर्गा की पूजा की और बड़े ही उत्साह से गर्बा खेला। इसतरह, जेल में एक नया माहौल बना जिससे जेल के कैदियों को मानसिक और आत्मिक संगति मिली। यह अद्भुत उत्सव और नृत्य कार्यक्रम नहीं सिर्फ कैदियों के लिए मनोरंजन का एक अवसर बना, बल्कि उन्हें समाज में पुनर्वास की दिशा में आगे बढ़ने का भी एक मंच प्रदान किया।
इस सामाजिक समारोह में कैदियों के बीच एक अद्वितीय और साथ ही सामूहिक भावना के साथ नृत्य की खूबसूरती देखने को मिली। जेल प्रशासन द्वारा इस आयोजन की योजना की गई थी जो कैदियों के जीवन में एक नया चमक लाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
इस अनूठे कार्यक्रम ने न केवल कैदियों बल्कि प्रदर्शन करने वाले सभी कर्मचारियों को भी एक साथ लाकर सामूहिकता और एकता का संदेश दिया। साथ ही, दर्शकों को भी एक नया दृश्य दिखाकर मनोरंजन के साथ-साथ समाज में एक सकारात्मक बदलाव की संभावनाओं को सामने रखा।
इस प्रकार, इंदौर सेंट्रल जेल में मनाए गए नवरात्रि के उत्सव में गर्बा और आदिवासी लोक नृत्य के माध्यम से एक सामग्री और मनोरंजन से भरपूर कार्यक्रम के द्वारा एक एहसास में निवेदन करना सकारात्मक सोच के साथ संगठित समाज में समर्थन और एकता की जीत के संकेत हो।,