ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर क्षत्रिय समाज और गुर्जर समाज के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस विवाद के समाधान के लिए जनवरी महीने में हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक आदेश जारी किया था। उसके पालन में बुधवार को संभाग आयुक्त मनोज खत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें कलेक्टर, आइजी, नगर निगम कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक भी मौजूद थे।
बैठक में क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रतिमा की पट्टिका पर या तो “प्रतिहार” लिखा जाए या फिर केवल “सम्राट मिहिर भोज” लिखा जाए। उन्होंने गुर्जर-प्रतिहार दोनों का उल्लेख करने का प्रस्ताव खारिज कर दिया। उनका कहना था कि महापुरुषों को जाति के आधार पर बांटा नहीं जा सकता और इस आधार पर विवाद समाप्त नहीं होगा।
अब तक इस मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। दोनों समाजों के प्रतिनिधियों से संवाद जारी है और अगस्त में हाई कोर्ट में भी मामले की सुनवाई होगी।
ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर विवाद दो साल से अधिक समय से चल रहा है। विवाद के चलते प्रतिमा को अक्सर बेरीकेड या टीन शेड में बंद किया जाता है। इस मुद्दे के कारण शहर में कई बार बवाल भी हुआ है, जिसमें पट्टिका पर नाम बदलने, तोड़फोड़ और हाइवे जाम करने जैसी घटनाएं शामिल हैं।
क्षत्रिय और गुर्जर समाज दोनों का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज का संबंध उनकी जाति से है। इस विवाद के कारण शहर में बड़े पैमाने पर समस्याओं का सामना करना पड़ा है और दोनों समाजों के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस पूरे विवाद का समाधान निकालना एक बड़ी चुनौती है, और दोनों पक्षों के बीच संवाद और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से इसे सुलझाने की कोशिश की जा रही है।