joharcg.com ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक और आत्म-निर्भर गौशाला का निर्माण पूरा हो चुका है और इसे जल्द ही शुभारंभ किया जाएगा। इस गौशाला में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बायो सीएनजी प्लांट स्थापित किया गया है। इस प्लांट में प्रतिदिन 100 टन गोबर का उपयोग कर 3 टन तक सीएनजी और 20 टन उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद का उत्पादन होगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन इस प्लांट के संचालन और संधारण में भी सहयोग करेगा।

प्रति दिन 3 टन सीएनजी, 20 टन सर्वोत्तम गुणवत्ता का बायो जैविक खाद मिलेगा

गौशाला का निर्माण इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से 32 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। भविष्य में विस्तार की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, एक हेक्टेयर भूमि को आरक्षित रखा गया है। सांसद निधि से 2 हजार गायों के लिए आधुनिक शेड निर्माण के लिए 2 हजार करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की गई है।

10 हजार गायों से मिलेगा 100 टन गोबर

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनकी “वेस्ट टू वेल्थ” की विकास दर्शन नीति की सराहना की है। उन्होंने संत समुदाय का भी आभार व्यक्त किया, जो गौ माता की सेवा में लगे हैं। राज्य सरकार इस प्रयास के विस्तार में पूरा सहयोग करेगी। उल्लेखनीय है कि इंदौर में एशिया के सबसे बड़े सीएनजी प्लांट का संचालन हो रहा है, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।

कार्बन उत्सर्जन रोकने में बनेगी वैश्विक आदर्श

ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला को आदर्श गौशाला बनाने के लिए ग्वालियर नगर निगम और संत समुदाय ने मिलकर 10 हजार गायों की देखभाल की है। बायो सीएनजी प्लांट के साथ ही एक इंक्यूबेशन सेंटर भी जल्दी ही शुरू किया जाएगा।

क्या होंगे फायदे?

इस प्लांट के विधिवत संचालन के बाद प्रतिदिन लगभग 2 से 3 टन बायो सीएनजी और 20 टन उच्च गुणवत्ता की प्राकृतिक खाद का उत्पादन होगा। इससे ग्वालियर नगर निगम को भी लगभग 7 करोड़ रुपये की आय होगी। यह प्लांट कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना करने में समाज और सरकार के आपसी सहयोग का आदर्श उदाहरण है। इससे पर्यावरण सुधार होगा, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और गौशाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगी। ग्वालियर के आस-पास जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उचित दाम पर गोबर की खाद मिल सकेगी।

ग्रीन ऊर्जा उत्पादन में आगे बढ़ता मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश ने क्लीन और ग्रीन ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, गांवों में बायोगैस संयंत्रों की स्थापना में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर चंडीगढ़ और दूसरे पर उत्तर प्रदेश है। मध्यप्रदेश में 104 बायोगैस संयंत्र विभिन्न गांवों में संचालित हैं। सबसे ज्यादा 24 बैतूल में, बालाघाट में 13 और सिंगरौली में 12 हैं। स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता के साथ-साथ यह संयंत्र कार्बन उत्सर्जन रोकने में भी मदद कर रहे हैं।

इस प्रकार, ग्वालियर की आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला न केवल पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगी, बल्कि एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करेगी। Ramvichar Netam Archives – JoharCG