joharcg.com भोपाल। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा इंदौर और जबलपुर शहरी क्षेत्र में नगर वन (सिटी फारेस्ट) विकसित करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिये विभाग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से तेजी से कार्य किया जा रहा है। विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 की कार्य योजना में नगर वन विकसित करने संबंधी प्रस्ताव रखा गया है।
लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा नेशनल टेक्सटाईल कॉर्पोरेशन से इंदौर, उज्जैन, भोपाल एवं बुरहानपुर जिले की बंद मिलों की भूमि को पुनः राज्य शासन के पक्ष में बंदोबस्त (वैष्ठित) कर लिया गया है। इसके विरुद्ध नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन ने इंदौर, उज्जैन एवं भोपाल की भूमि के संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। संबंधित जिलों के कलेक्टर्स से समन्वय स्थापित कर विभाग द्वारा इन भूमि प्रकरणों के जल्द से जल्द निराकरण की कार्यवाही की जा रही है।
इंदौर जिले में स्थित यूनाइटेड मालवा मिल का एक प्रमुख भाग प्रबंधन की मंशा से नगर वन (सिटी फारेस्ट) के रूप में विकसित करने के लिये बेहद उपयुक्त पाया गया है। इस विकास प्रस्ताव पर विभागीय योजना बनाकर कार्यवाही की जा रही है एवं कल्याण मिल का उचित रूप से प्रबंधन किया जा रहा है। उज्जैन की विनोद मिल के शेष पार्सलों पर व्यवसायिक गतिविधियों के प्रोत्साहन केलिये विभागीय योजना तैयार की जा रही है एवं उज्जैन की हीरा मिल का समुचित प्रबंधन भी विभागीय तौर पर किया जा रहा है।
लोक परिसम्पत्ति विभाग द्वारा जबलपुर शहरी क्षेत्र में बीएसएनएल द्वारा अधिग्रहित भूमि को पुनः राज्य शासन के पक्ष में बंदोबस्त (वैष्ठित) कर लिया गया है। अब यहाँ ‘सिटी फारेस्ट’ के लिये जरूरी विकास के मद्देनजर समुचित प्रबंधन एवं व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन जिला प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत विभाग द्वारा जिलों में मौजूद आधारभूत संरचनाओं को और अधिक सुदृढ़ कर इन्हें नई आवश्यकतानुसार विकसित करने के लिये गत वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में 20 जिलों को उनसे प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार कुल 126 करोड़ 79 लाख रूपये वितरित किये गये। जारी वित्त वर्ष 2024-25 में इस योजना में 16 जिलों से पात्रतानुसार 65 करोड़ 49 लाख रूपये के विकास प्रस्ताव प्राप्त करने के लिये भी विभाग द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है।
मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के दो प्रमुख शहरों में सिटी फॉरेस्ट बनाने की योजना की घोषणा की है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस परियोजना से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि शहरवासियों को भी एक नया और स्वच्छ वातावरण मिलेगा।
सरकार के अनुसार, भोपाल और इंदौर में सिटी फॉरेस्ट विकसित करने की तैयारी जोरों पर है। इन सिटी फॉरेस्ट का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाना, प्रदूषण कम करना और नागरिकों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है।
परियोजना के तहत, भोपाल के केरवा क्षेत्र और इंदौर के बिचौली मर्दाना क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट विकसित किए जाएंगे। इन क्षेत्रों को चयनित करने का मुख्य कारण उनकी भौगोलिक स्थिति और हरियाली को बढ़ावा देने की क्षमता है।
भोपाल के पर्यावरण मंत्री ने बताया, “सिटी फॉरेस्ट परियोजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देना है। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि शहरवासियों को भी एक नया और स्वच्छ वातावरण मिलेगा। हम इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।”
इंदौर के नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा, “इस परियोजना से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि शहरवासियों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। हम सभी आवश्यक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सिटी फॉरेस्ट का निर्माण करेंगे।”
इस परियोजना के तहत विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, जो शहर के पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करेंगे। इसके अलावा, सिटी फॉरेस्ट में विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय गतिविधियों जैसे साइक्लिंग, जॉगिंग ट्रैक, बर्ड वाचिंग, और योगा क्षेत्र भी विकसित किए जाएंगे।
सिटी फॉरेस्ट परियोजना से स्थानीय नागरिक भी काफी उत्साहित हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह एक बहुत ही अच्छा कदम है। इससे न केवल हमें ताजी हवा मिलेगी बल्कि हमारे बच्चों को भी खेलने और प्रकृति के करीब आने का मौका मिलेगा।”
सरकार ने इस परियोजना के लिए एक विशेष बजट आवंटित किया है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा है। परियोजना की सफलता के बाद इसे अन्य शहरों में भी लागू करने की योजना है।
इस परियोजना से मध्यप्रदेश के पर्यावरण को स्थिरता और नागरिकों को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण मिलेगा। यह कदम राज्य के विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।