भिखारियों को भीख

joharcg.com रायपुर में भिखारियों को भीख देने को लेकर एक नया विवाद सामने आया है, जिसके तहत पुलिस ने FIR दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की है। इस मामले में आरोप है कि कुछ लोग सार्वजनिक स्थानों पर भिखारियों को भीख दे रहे थे, जो कि शहर के प्रशासनिक आदेशों के खिलाफ है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति इस गतिविधि में शामिल पाया जाता है, तो उसे सजा दी जा सकती है, जिसमें जेल की सजा भी हो सकती है।

रायपुर नगर निगम ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसमें भिखारियों को भीख देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसका उद्देश्य शहर में सार्वजनिक स्थानों पर भिखारियों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण पाना और शहरी सौंदर्य को बनाए रखना है। इस आदेश के तहत यह माना गया कि भीख देना, भिखारियों को बढ़ावा देता है और इससे कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

प्रशासन का कहना है कि भीख देने से भिखारीयों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा, बल्कि यह उनके जीवन को और कठिन बना सकता है। इसके बजाय, लोगों से अपील की गई है कि वे भिखारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत मदद दें, न कि उन्हें भीख दें। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भेजा जा सकता है।

यह FIR इस बात को लेकर एक चेतावनी है कि सार्वजनिक स्थानों पर भीख देना एक कानूनी अपराध हो सकता है, और यह शहर के प्रशासनिक नियमों के खिलाफ है। हालांकि, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर चिंता व्यक्त की है और उन्होंने कहा है कि यह भिखारियों की मूल समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है। उनका मानना है कि भिखारियों को बेरोज़गारी, गरीबी, और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने में मदद करने के लिए अधिक संवेदनशील उपायों की आवश्यकता है।

प्रशासन ने इस मुद्दे पर सभी नागरिकों से सहयोग की अपील की है और यह सुनिश्चित किया है कि इस आदेश का पालन कड़ाई से किया जाएगा।

इंदौर पुलिस ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर में एक भिखारी को भीख देने के आरोप में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.  मध्य प्रदेश में अपनी तरह का शायद यह पहला मामला है.  
खंडवा रोड पर एक मंदिर के सामने बैठी एक महिला भिखारी को भीख देने के आरोप में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

भंवरकुआं थाने ने भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल के एक अधिकारी की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है. बीएनएस धारा 223 के तहत दोषी को एक साल तक की कैद या 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, इंदौर को देश का पहला भिखारी मुक्त शहर बनाने का लक्ष्य रखने वाले प्रशासन ने भिखारियों से भीख लेने, उन्हें भीख देने और उनसे कोई भी सामान खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने बताया कि इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान किया गया है.

जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने भीख मांगने वालों के बारे में सूचना देने वालों को 1,000 रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की है और अब तक कई लोगों को सूचना देने पर यह राशि मिल भी चुकी है. बता दें कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने देशभर के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है.

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