joharcg.com बालाघाट जिले के परसवाड़ा ब्लॉक के सुदूर गांवों में रहने वाले बैगा परिवारों का जीवन अब पहले जैसा नहीं रहा। ये तीन सड़कों ने उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। बैगा समुदाय, जो विशेष रूप से पिछड़े और कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) में आते हैं, अब विकास और समृद्धि की राह पर चल पड़ा है।
पहले इन गांवों में जीवन बेहद कठिन था। बिखरे हुए गांव, घने जंगल, कच्चे रास्ते और जंगली जानवरों का खौफ। शाम होते ही घरों में कैद हो जाना ही उनका जीवन था। इन कठिनाइयों को झेलते हुए, बैगा परिवार अपने दैनिक कार्यों के लिए सूरज उगने का इंतजार करते थे। लेकिन अब, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी तीन नई सड़कों ने इन परिवारों की ज़िंदगी को सरल और सुरक्षित बना दिया है।
सड़कों के निर्माण की कहानी
परसवाड़ा ब्लॉक में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत तीन सड़कों का निर्माण किया गया है:
- नाटा से पांडाटोला (4.85 किमी)
- बड़गांव से साल्हे (4.50 किमी)
- पांडाटोला से बीजाटोला (0.811 किमी)
कुल 10.16 किमी की ये सड़कें, जो पहले पगडंडियां थीं, अब बैगा परिवारों के लिए जीवनरेखा बन गई हैं। खासतौर पर, पांडाटोला से बीजाटोला तक की 811 मीटर की सड़क का निर्माण पीएम जन-मन योजना के तहत रिकार्ड 164 दिनों में पूरा हुआ। इसका निर्माण 16 मार्च को शुरू हुआ और 26 अगस्त को पूरा हो गया। यह सड़क देश की संभवतः पहली ऐसी सड़क है, जिसका सीधा लाभ पीवीटीजी के बैगा परिवारों को मिल रहा है।
विकास के द्वार
इन सड़कों ने 30 किलोमीटर के दायरे में बसे 3,000 से अधिक बैगा परिवारों को हर वक्त, हर घड़ी, हर मौसम में एक-दूसरे से जोड़ दिया है। एक सड़क बनने से विकास के कई द्वार खुल जाते हैं। ये सड़कें न केवल बैगा परिवारों को ब्लॉक, जिले और राज्य से जोड़ती हैं, बल्कि उन्हें पूरे देश से भी जोड़ रही हैं।
सामाजिक और आर्थिक लाभ
इन सड़कों ने डोरली, चकटोला, कातलाबोडी, टिकरिया, कूकड़ा, उरूरगुड्डा, बारिया, डंडईटोला, मोहर, नारवाड़ी और अन्य गांवों में रहने वाले बैगा परिवारों के लिए विकास का नया रास्ता खोला है। अब ये परिवार सरकारी राशन दुकानों से राशन प्राप्त कर सकते हैं, बच्चे स्कूल जा सकते हैं, लोग बाजार और किसान मंडियों तक पहुंच सकते हैं, और मरीज आसानी से अस्पताल और बड़े कस्बों तक जा सकते हैं।
सड़क एक – फायदे अनेक
ये सड़कें जिन गांवो में बनी हैं, उसके दायरे में आने वाले कई मजरे-टोले हैं, जो इनका उपयोग कर रहे हैं। यह सड़कें डोरली, चकटोला, कातलाबोडी, टिकरिया, कूकड़ा, उरूरगुड्डा, बारिया, डंडईटोला, मोहर, नारवाड़ी सहित घने जंगलों के बीच बसे बैगा परिवारों के लिए विकास का नया रास्ता खोल रही हैं। करीब 30 किमी के दायरे में रहने वाले करीब 3 हजार से अधिक बैगाजन अब सरकारी राशन दुकानों से राशन पा रहे हैं। इन्हीं सड़कों का लाभ लेकर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। लोग बाजार जा रहे हैं। किसान मंडी तक पहुंच रहे हैं। मरीजों को अस्पताल और पास के बड़े कस्बे तक आने-जाने की भी बड़ी सुविधा इन बारहमासी सड़कों के बनने से मुहैया हो गयी हैं।
इन तीन सड़कों के निर्माण से बैगा समुदाय के जीवन में नया उजाला आ गया है। यह पहल न केवल उनके दैनिक जीवन को आसान बना रही है, बल्कि उन्हें विकास और समृद्धि की नई राह पर भी ले जा रही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई ये सड़कें बैगा समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण साबित हो रही हैं।