Jogi Cave Gadiya Pahad Kanker

Jogi Cave Gadiya Pahad Kanker जोगी गुफा :  शहर से जुड़े ऐतिहासिक गढ़िया पहाड़ का इतिहास 700 साल पुराना है। पहाड़ पर धर्मदेव कंड्रा राजा का किला हुआ करता था।  मेलाभाटा की ओर से पहाड़ी के ऊपर जाने के लिए कच्चा मार्ग बना हुआ है, इस मार्ग में एक काफी विशाल गुफा स्थित हैं। कहा जाता हैं कि उस गुफा में एक सिद्ध जोगी तपस्या किया करते थे जिनका शरीर काफी विशाल था वहां उस जोगी के द्वारा पहने जाने वाला काफी विशाल खडऊ आज भी मौजूद हैं। इस कारण इस गुफा को जोगी गुफा कहा जाता हैं। इस गुफा में प्राचीन काल से अब तक अनेक तपस्वी आकर ठहरते थे और बारिश का मौसम गुजरने के बाद आगे बढ़ जाते थे। गुफा को देखते आज भी श्रद्घालु व पर्यटक पहुंचते हैं।Kanker

पहाड़ पर स्थित शिव मंदिर किला बनने से भी पहले से यहां मौजूद है। इसका इतिहास कम से कम हजार साल पुराना माना जाता है। मंदिर में सूर्य समेत अन्य देवों की भी प्राचीन प्रतिमाएं हैं। 1955 से हर साल महाशिवरात्री पर पहाड़ पर मेला लगता आ रहा है।

सिंह द्वार की सुरंग 

सिंह द्वार के पास ही सुरंग दिखाई पड़ती है। सुरंग का दूसरा छोर बस्तर की पहाड़ियों में कहीं निकलना बताया जाता है। किले पर खतरा होने की स्थिति में राजा व प्रजा के बच निकलने के लिए सुरंग बनाई गई थी।

छुरी पत्थर देखने आते हैं लोग 

यहां की गुफा की छत पर अनेक छुरीनुमा पत्थर लटकते दिखाई पड़ते हैं। इन्हें देखने भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। गुफा से निकलने के अनेक रास्ते हैं। गुफा में एक जगह ऐसी भी है, जहां आराम से 500 लोग बैठ सकते हैं।

धर्मद्वार : किले में आने जाने के लिए राजा धर्मदेव के द्वारा इस मार्ग का उपयोग किया जाता था। यह किले के पीछे का रास्ता हैं। इस ओर से कांकेर शहर एवं ग्राम गढ़पिछवाड़ी की ओर जाने का रास्ता हैं।

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