joharcg.com रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में 63 वर्षीय महिला के हृदय की जटिल ऑपरेशन करके उसे नई जिंदगी दी गई। दरअसल इस महिला को छह माह से छाती में दर्द और सांस फूलने की शिकायत थी। मरीज के परिजन एसीआई के हार्ट सर्जरी विभाग में डॉ. कृष्णकांत साहू के पास जांच कराने के लिए लेकर आए।
एंजियोग्राफी एवं इकोकार्डियोग्राफी से पता चला कि मरीज के हृदय के कोरोनरी आर्टरी में 95 प्रतिशत ब्लॉकेज है एवं माइट्रल वाल्व एवं ट्राइकस्पिड वाल्व में लीकेज है जिसके कारण मरीज के हार्ट का पंपिंग पावर कम हो गया था। इसके लिए डॉ. कृष्णकांत साहू ने मरीज को कोरोनरी बाईपास सर्जरी एवं वाल्व प्रत्यारोपण की सलाह दी। चूंकि मरीज मध्यप्रदेश के सतना जिले की थी इसलिए मध्यप्रदेश में ऑपरेशन की सलाह दी गई क्योंकि उनका आयुष्मान कार्ड मध्यप्रदेश का था
परंतु मरीज के परिजन एवं स्वयं मरीज को छ.ग. के अम्बेडकर अस्पताल स्थित एसीआई के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों पर ज्यादा भरोसा था, परंतु दिक्कत आयुष्मान कार्ड की थी क्योंकि उस समय तक उन्हें नहीं पता था कि छ.ग. में म. प्र. का आयुष्मान कार्ड काम आयेगा या नहीं? लेकिन उनकी यह समस्या भी हल हो गई और छ. ग. में अम्बेडकर अस्पताल स्थित एसीआई में आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज हुआ।
इस मरीज का दो ऑपरेशन होना था क्योंकि इनके हार्ट की नसों में जिसको कोरोनरी आर्टरी कहते हैं, में ब्लॉकेज था एवं हार्ट के दो वाल्व में लीकेज था एवं हार्ट भी कमजोर था। साथ ही साथ मरीज की उम्र भी ज्यादा थी इसलिए यह ऑपरेशन जटिल था।सर्वप्रथम इस मरीज का बीटिंग हार्ट (बीटिंग हार्ट कोरोनरी बायपास) कोरोनरी बायपास किया गया जिसमें लेफ्ट इंटरनल मेमरी आर्टरी का उपयोग किया गया। आर्टेरियल ग्राफ्ट लगाने से मरीज को बहुत फायदा होता है।
इससे ग्राफ्ट में पुन: ब्लॉकेज की संभावना कम हो जाता है और ग्राफ्ट लम्बे समय तक चलता रहता है। साथ ही साथ मरीज के पैर में चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। उसके बाद मरीज का ओपन हार्ट सर्जरी करके खराब माइट्रल वाल्व को टाइटेनियम के कृत्रिम वाल्व (सेंट जुड बाई लीफलेट मैकेनिकल वाल्व) से बदला गया एवं ट्राइकस्पिड वाल्व को ट्राइकस्पिड रिंग लगाकर रिपेयर किया गया। मरीज को 10 दिनों बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।