joharcg.com राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में 1 से 3 अगस्त तक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता स्वयं राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने की। यह तीन दिवसीय आयोजन अपने विशेष महत्व और विविध गतिविधियों के लिए चर्चित रहा। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिससे देश के विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के उद्घाटन भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने देश की एकता, विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक दूसरे से सीखने का अवसर भी मिलता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश की प्रगति के लिए शिक्षा और सामाजिक समरसता का महत्व अत्यंत आवश्यक है।
तीन दिनों के इस आयोजन में कई विशिष्ट अतिथियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने विभिन्न सत्रों में अपने विचार साझा किए, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों और दृष्टिकोणों को साझा किया, जिससे नई और प्रेरणादायक विचारधाराओं का उदय हुआ।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस कार्यक्रम को और भी आकर्षक बना दिया। देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां दीं, जिससे दर्शकों को देश की सांस्कृतिक विविधता का सजीव अनुभव प्राप्त हुआ। इसके अलावा, कुछ प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया गया, जिसमें भारतीय हस्तशिल्प और कला के अनूठे नमूने प्रदर्शित किए गए।
समापन समारोह में, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन राष्ट्र की एकता और अखंडता को और मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने आशा जताई कि इस कार्यक्रम से प्राप्त विचार और सुझाव देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
निष्कर्ष: राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकता, संस्कृति और ज्ञान के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। इस आयोजन ने न केवल लोगों को सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का मौका दिया, बल्कि भविष्य के लिए एक सकारात्मक दिशा भी प्रदान की।