Gangrel Dam/Ravi Shankar Dam Dhamtari

Gangrel Dam/Ravi Shankar Dam Dhamtari गंगरेल बांध का एक और नाम रविशंकर बांध है। धमतरी  जिले में, यह स्थान पर्यटकों  के लिए काफी प्रसिद्ध  है। इस बांध का निर्माण महानदी पर किया गया है। बांध की दूरी 15 किमी है। 10 एमवी क्षमता की गंगरेल हाइडल पावर प्रोजेक्ट नामक एक हाइडल पावर परियोजना द्वारा आसपास के क्षेत्र हेतु विद्युत का उत्पादन होता है। गंगरेल बाँध में जल धारण क्षमता 15,000 क्यूसेक है। यह बांध सबसे बड़ा और सबसे लंबा बांध माना जाता है।

गंगरेल बांध, जिसे आर.एस. सागर बांध, भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित है। यह महानदी नदी के पार बनाया गया है। यह धमतरी जिले में स्थित है, धमतरी से लगभग 15 किमी और रायपुर से लगभग 90 किमी दूर है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है। यह बांध साल भर की सिंचाई की आपूर्ति करता है, जिससे किसानों को प्रति वर्ष दो फसल लेने की अनुमति मिलती है। यह बांध 10 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन क्षमता भी प्रदान करता है।

छत्तीसगढ़ राज्य के बड़े बांधों में से महानदी पर बने गंगरेल बांध की खूबसूरती सभी को लुभाती है। इसी वजह से सैकड़ों लोग रोज यहां आते हैं, लेकिन इस बांध के लिए कितने लोगों ने अपनी जमीन जायजाद की कुर्बानी दी, इस बात से लोग अंजान हैं। गंगरेल बांध के नाम पर कई गांव डूबने में शामिल हो गए। 

ईतिहास –

गंगरेल बांध निर्माण के लिए सन् 1965 में सर्वे का काम शुरु हो चुका था। सबसे पहले ग्राम सटियारा के पास बांध बनाने के लिए जगह की तलाश की गई, पर तकनीकी कारणों के चलते यहां बांध का निर्माण संभव नहीं हो सका। इसके बाद वर्तमान जगह पर गंगरेल गांव के पास दो पहाड़ों की बीच इसका निर्माण करने का निर्णय लिया गया। इस कार्य का शिलान्यास 5 मई 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। इस बांध की नींव बनाने का काम रेडियो हजरत नाम की कंपनी ने किया। इसके बाद सागर कंपनी तथा मित्तल एंड कंपनी के साथ ही कुछ अन्य छोटी बड़ी कंपनियों ने इस कार्य को पूरा किया। करीब 6 साल तक लगातार काम चलने के बाद 1978 में बांध बनकर तैयार हुआ। 32.150 टीएमसी क्षमता वाले इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र मीलों तक फैला हुआ है। इसमें धमतरी के अलावा बालोद व कांकेर जिले का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। जब बांध अस्तित्व में आया, तब तक 55 गांव इसके जलग्रहण क्षेत्र में समा चुके थे। इनमें ग्राम गंगरेल, चंवर, चापगांव, तुमाखुर्द, बारगरी, कोड़ेगांव, मोंगरागहन, सिंघोला, मुड़पार, कोरलमा, कोकड़ी, तुमाबुजुर्ग, कोलियारी, तिर्रा, चिखली, कोहका, माटेगहन, पटौद, हरफर, भैसमुंडी, तासी, तेलगुड़ा, भिलई, मचांदूर, बरबांधा, सिलतरा, सटियारा समेत अन्य गांवों के लोग ऊपरी क्षेत्रों में आकर बस गए।


16 हजार 704 एकड़ जमीन डूबी
गंगरेल बांध में जल भराव होने के बाद 55 गांवों में रहने वाले 5 हजार 347 लोगों की 16 हजार 496.62 एकड़ निजी जमीन व 207.58 एकड़ आबादी जमीन सहित कुल 16 हजार 704.2 एकड़ जमीन डूब गई।इनमें ग्राम बारबरी के मालगुजार त्रयंबक राव जाधव, कोड़ेगांव गांव के भोपाल राव पवार, कोलियारी के पढ़रीराव कृदत्त सहित अन्य मालगुजारों की जमीन भी शामिल थी।

कभी लगते थे मड़ई मेले– बांध की डूब में आ चुके कई गांवों में अनेक देवी-देवता विराजमान थे, जिनके नाम पर हर साल होने वाले मड़ई मेले काफी मशहूर थे।- वर्तमान में बांध के एक छोर में स्थापित आदि शक्ति मां अंगार मोती की मूर्ति पहले करीब 10 किलो मीटर दूर डूब में आ चुके ग्राम चंवर में स्थापित थी।- आज भी इस देवी की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। ग्राम लमकेनी में देवी मनकेशरी विराजित थी, जिन्हें बाद में ग्राम कोड़ेगांव में स्थापित किया गया।- भिड़ावर में रनवासिन माता, कोरलमा में छिनभंगा माता के मंदिर आसपास के क्षेत्रों में आज भी प्रसिद्ध हैं।

कैसे पहुंचें :

बाय एयर-

निकटतम विमानतल रायपुर में सहित है जिसकी दूरी धमतरी से लगभग 75 किमी है | रायपुर विमानतल से धमतरी तक प्री-पेड टैक्सी सुविधा भी उपलब्ध है|

सड़क के द्वारा-

धमतरी शहर से आने तथा जाने हेतु नियमित बस सेवा उपलब्ध है जो की प्रतिदिन संचालित होती है | बस मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 30 एवं अन्य राज्य मार्गों के माध्यम से रायपुर , भिलाई शहरों से पूर्णतः कनेक्टेड है |

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