joharcg.com डिजिटल युग में जहाँ इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के उपयोग से जीवन आसान हो गया है, वहीं साइबर धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इनसे बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल ही में जस्टिस मिश्रा ने एक कार्यक्रम में इस गंभीर मुद्दे पर लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि साइबर अपराधों से बचने के लिए तकनीकी सावधानी और व्यक्तिगत जागरूकता समय की मांग है।
आजकल बैंकिंग से लेकर शॉपिंग तक, सभी गतिविधियाँ ऑनलाइन होती जा रही हैं। इसका फायदा उठाते हुए साइबर अपराधी विभिन्न तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। चाहे वो फिशिंग हो, वायरस अटैक हो, या फिर व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने के प्रयास हों, साइबर अपराधी लगातार नई तकनीकों का उपयोग करके लोगों की निजी जानकारी को चुराने और वित्तीय नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कई लोग अपनी जानकारी की सुरक्षा को लेकर सतर्क नहीं रहते, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं। डिजिटल लेन-देन करते समय थोड़ी सी भी लापरवाही बड़ी धोखाधड़ी का कारण बन सकती है।
जस्टिस मिश्रा ने अपनी बात में स्पष्ट किया कि साइबर अपराधों से बचने का सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम लोगों का खुद जागरूक होना है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन व्यवहार में थोड़ी सी भी सतर्कता कई प्रकार की साइबर धोखाधड़ी से बचा सकती है। उदाहरण के तौर पर, किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करना, संदिग्ध ईमेल्स से दूरी बनाना, और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करना जैसे छोटे कदम साइबर अपराध से बचाव में मददगार हो सकते हैं।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपने बैंकिंग और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उचित सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए। नियमित रूप से पासवर्ड बदलना और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसी तकनीकों का उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है। जस्टिस मिश्रा ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी को भी अपनी वित्तीय जानकारी शेयर करने से पहले दस बार सोचना चाहिए, खासकर तब जब वह व्यक्ति या वेबसाइट विश्वसनीय न हो।
जस्टिस मिश्रा ने सरकार और तकनीकी संस्थाओं से भी अपील की कि वे साइबर सुरक्षा के उपायों को और अधिक सशक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को साइबर अपराधों से निपटने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि अपराधियों को तेजी से पकड़ा जा सके। साथ ही, उन्होंने आम जनता को सरकार द्वारा जारी साइबर सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी।
सरकार को साइबर अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना चाहिए। साथ ही, शैक्षिक संस्थानों और संगठनों में साइबर सुरक्षा से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे लोग साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए पूरी तरह से सक्षम हो सकें।
जस्टिस मिश्रा की यह अपील न केवल साइबर अपराधों से बचने के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। डिजिटल युग में जहाँ तकनीकी उन्नति ने हमारे जीवन को सुगम बनाया है, वहीं इसके साथ-साथ आने वाले खतरों से बचने के लिए हमें पूरी तरह से जागरूक और सतर्क रहना होगा। साइबर सुरक्षा से जुड़े छोटे-छोटे कदम उठाकर हम अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रन्जन गोगोई ने साइबर फ्रॉड के खिलाफ सावधानी और जागरूकता की महत्वपूर्णता को जताया है। उनका कहना है कि आज के तकनीकी युग में हमें अपनी जानकारी और विश्वासघातों से बचाने के लिए सजग रहना होगा। साइबर अपराधियों की गणना बढ़ छुकी है और इससे लोग अपनी आपरेशनल और वित्तीय सुरक्षा की चिंता में हूं हैं।
सुरक्षित इन्टरनेट उपयोग करना बुद्धिमानी से बरतने का माध्यम है। साइबर अपराधियों को निशाने पर लाने से बचने के लिए मौजूदा टिप्स को ध्यानपूर्वक पालन करना आवश्यक है। जस्टिस गोगोई ने कहा, “आधुनिक दुनिया में डिजिटल हमलों के लिए हमें सजग रहने की आवश्यकता है। केवल सावधानी और जागरूकता ही हमें साइबर फ्रॉड से बचा सकती है।”
इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि उचित सुरक्षा उपायों को अपनाना और सतर्क रहना हमें सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। जिन लोगों के पास तकनीकी ज्ञान नहीं है, उन्हें इंटरनेट का सही उपयोग करने के लिए जानकारी प्राप्त करना जरुरी है।
आखिरकार, साइबर फ्रॉड से बचाव के लिए व्यक्तिगत और सांगठिक स्तर पर कार्य करना आवश्यक है। जनता को साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूक और सुरक्षित रहने के लिए सहयोग करना आवश्यक है। साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ाई में हमें समूचा समाज मिलकर काम करना होगा। तभी हम साइबर फ्रॉड से बच सकेंगे और आत्मनिर्भर और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।