joharcg.com पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रेप विरोधी ‘अपराजिता’ विधेयक पेश किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य रेप पीड़िताओं को अधिक सुरक्षा और न्याय प्रदान करना है, और यह राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।
‘अपराजिता’ विधेयक के तहत, पीड़िताओं को जल्द और प्रभावी न्याय प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में कानूनी प्रक्रिया को तेज करने के लिए कई नए उपाय शामिल किए गए हैं, जिनसे पीड़िताओं को लंबी कानूनी लड़ाई से निजात मिल सके। इसके अलावा, विधेयक में पीड़िताओं को विशेष चिकित्सा सहायता, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं, और पुनर्वास के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।
इस विधेयक के तहत, अपराधियों को कठोर सजा देने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं, जिससे समाज में ऐसे अपराधों के प्रति एक कड़ा संदेश जाएगा। विधेयक में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारी तेजी से कार्रवाई करें और किसी भी लापरवाही को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि ‘अपराजिता’ विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में उठाया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक की पेशकश को महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के उनके संकल्प का एक हिस्सा बताया है।
विधेयक की पेशकश के बाद से विभिन्न महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक कदम बताया है। इस विधेयक के पारित होने के बाद, उम्मीद है कि यह पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा के मुद्दे को सुलझाने में मदद करेगा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को एक अहम बिल पेश किया गया, जिसमें बलात्कार के दोषियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान रखा गया है। इस एंटी रेप बिल में प्रस्तावित है कि बलात्कार के दोषियों को दोष सिद्ध होने के बाद 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा दी जाए। इस विधेयक में बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषियों को मृत्युदंड देने का प्रावधान है। इसमें पीड़िता की उम्र मायने नहीं रखेगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर एंटी रेप बिल (अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024) पेश किया. जिसके बाद सभा में इस बिल पर चर्चा शुरू हुई. सीएम ममता ने इस बिल को ऐतिहासिक बताया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “43 साल पहले इसी दिन 1981 में, संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए ‘महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर सम्मेलन’ के लिए एक समिति बनाई थी… मैं नागरिक समाजों से लेकर छात्रों तक सभी का अभिनंदन करती हूं, जो महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “डॉक्टर की मौत 9 अगस्त को हुई… मैंने मृतक डॉक्टर के माता-पिता से उसी दिन बात की जिस दिन घटना हुई, उनके घर जाने से पहले उन्हें सारा ऑडियो, वीडियो, CCTV फुटेज सब कुछ दिया गया ताकि उन्हें सब पता चल सके।
मैंने उनसे साफ कहा कि मुझे रविवार तक का समय दें, अगर हम तब तक सभी को गिरफ्तार नहीं कर पाए तो मैं खुद सोमवार को इसे CBI को सौंप दूंगी… पुलिस ने 12 घंटे में मुख्य आरोपी को पकड़ लिया, मैंने पुलिस से कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाएं और फांसी की सजा के लिए आवेदन करें लेकिन मामला CBI को दे दिया गया। अब हम CBI से न्याय की मांग कर रहे हैं। हम शुरू से ही फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं।”
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “…हम इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन चाहते हैं, यह आपकी(राज्य सरकार) जिम्मेदारी है। हम परिणाम चाहते हैं, यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम कोई विभाजन नहीं चाहते, हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री का वक्तव्य आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको यह गारंटी देनी होगी कि यह विधेयक तुरंत लागू होगा इस बिल का उद्देश्य राज्य में बढ़ते यौन अपराधों पर लगाम लगाना और पीड़ितों को तेजी से न्याय दिलाना है।
बिल में कहा गया है कि बलात्कार के मामलों की जांच और सुनवाई को तेजी से पूरा किया जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी न हो। पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस शर्मनाक घटना के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच प्रस्तावित इस विधेयक को राज्य के कानून मंत्री मलय घटक पेश करेंगे, जिसके बाद इस पर चर्चा होगी।