वायनाड भूस्खलन

joharcg.com वायनाड। केरल के वायनाड में हुए भस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 344 हो गई और 206 लोग अभी भी लापता हैं। रेस्क्यू टीम का शनिवार को पांचवें दिन भी ऑपरेशन जारी है। रक्षा बलों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, अग्निशमन सेवा और स्वयंसेवकों के 1,500 से अधिक कर्मियों वाली बचाव टीम ने शनिवार सुबह चार सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला, वेल्लारीमाला, मुंडकाईल और पुंचिरीमाडोम में तलाशी शुरू कर दी है।

अब तक 146 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि 74 की पहचान होनी बाकी है। मृतकों में 30 बच्चे भी शामिल हैं। मलबे से बड़ी संख्या में क्षत-विक्षत शरीर के अंग भी बरामद किये गए हैं। यहां लगभग 100 राहत शिविर हैं, जिनमें लगभग 9,500 लोगों को स्थानांतरित किया गया है।

जिले के विभिन्न अस्पतालों में 84 लोग भर्ती हैं। 122 टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल और कन्नूर इकाई से जुड़े अभिनेता मोहनलाल अपनी इकाई के साथ शनिवार सुबह प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। सैन्य वर्दी पहने मोहनलाल सबसे पहले मैप्पडी में स्थित बेस कैम्प पहुंचे और रक्षा बलों से मुलाकात की। फिर वह चूरलमाला पहुंचे और बचाव दल के साथ बातचीत की।

राज्य और केंद्र सरकार की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई की है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के साथ सेना की टीमों ने संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य शुरू किया है। इन टीमों ने भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही घायलों को इलाज के लिए निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।

भूस्खलन के कारण इलाके में यातायात और संचार सुविधाएं भी बाधित हो गई हैं। सड़कों के टूटने और पेड़ों के गिरने से कई जगहों पर मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। इस संकट के समय में प्रशासन ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें। अधिकारियों ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को लगातार जारी रखा जाएगा, ताकि किसी भी फंसे हुए व्यक्ति को जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सके। Vishnu Deo Sai Archives – JoharCG

केरल के वायनाड जिले में वायनाड भूस्खलन की त्रासदी से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा में मृतकों की संख्या बढ़कर 344 हो गई है, जबकि राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है। भारी बारिश और वायनाड भूस्खलन के कारण कई इलाकों में मकान ध्वस्त हो गए हैं और लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

राज्य और केंद्र सरकार की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई की है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के साथ सेना की टीमों ने संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य शुरू किया है। इन टीमों ने भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही घायलों को इलाज के लिए निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।

वायनाड के इन इलाकों में मानसून की बारिश के चलते वायनाड भूस्खलन की घटनाएं सामान्य हैं, लेकिन इस बार की बारिश ने पूरे इलाके में तबाही मचाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक वर्षा और पहाड़ी क्षेत्रों में गैर-वैज्ञानिक निर्माण कार्यों के कारण भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक 344 लोगों की मौत हो चुकी है, और राहत और बचाव कार्यों में जुटी टीमों के प्रयास जारी हैं। भारी बारिश के चलते हुई इस भूस्खलन की घटना ने कई गांवों को प्रभावित किया है, जिससे घर-बार और जीवन अस्त-व्यस्त हो गए हैं।

वायनाड भूस्खलन के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), और स्थानीय प्रशासन के साथ सेना की टीमों ने मिलकर बचाव कार्यों को गति दी है। इन टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए दिन-रात मेहनत की है। राहत कार्यों के दौरान, उन्हें कई जीवन रक्षक सफलताएँ मिली हैं, लेकिन स्थिति अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है।

भूस्खलन के कारण सड़कों के टूटने और पेड़ों के गिरने से यातायात और संचार सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई गांवों और कस्बों में आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बाधित हो गई हैं। प्रशासन ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें।

वायनाड के इन क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं आम हो सकती हैं, लेकिन इस बार की घटना ने अप्रत्याशित रूप से गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक वर्षा और अनियंत्रित निर्माण कार्यों के कारण भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है। साथ ही, बेघर हुए लोगों के पुनर्वास के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। इस भयानक आपदा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखना कितना आवश्यक है। वायनाड की यह भूस्खलन त्रासदी न केवल जीवन की क्षति का कारण बनी है, बल्कि पर्यावरण के संतुलन को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। प्रशासन और समाज को मिलकर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।