मां के पेट में

joharcg.com चिकित्सा जगत में चमत्कार और असाधारण घटनाएं कभी-कभी सामने आती हैं जो डॉक्टरों को भी हैरान कर देती हैं। हाल ही में एक ऐसा ही अनोखा मामला सामने आया जिसने चिकित्सा विशेषज्ञों को चौंका दिया। मामला एक गर्भवती महिला से जुड़ा है, जिसके पेट में पल रहे बच्चे के अंदर एक और बच्चा पाया गया। इस दुर्लभ घटना को देखकर डॉक्टर भी स्तब्ध रह गए।

इस दुर्लभ घटना को मेडिकल टर्म में “फीटस इन फीटू” (Fetus in Fetu) कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें एक गर्भस्थ शिशु के शरीर के अंदर एक और अधूरा या अपूर्ण विकसित भ्रूण पाया जाता है। यह स्थिति लाखों में किसी एक बच्चे में ही पाई जाती है, और जब यह मामला सामने आया तो डॉक्टरों के लिए भी यह एक मेडिकल आश्चर्य बन गया।

महिला अपने नियमित गर्भावस्था जांच के लिए अस्पताल आई थी, जहां डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड के दौरान यह अनोखा दृश्य देखा। अल्ट्रासाउंड स्कैन में देखा गया कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के पेट के अंदर एक और अधूरा भ्रूण मौजूद है। यह दृश्य देखकर डॉक्टरों की टीम तुरंत सक्रिय हो गई और उन्होंने इस मामले की गहन जांच शुरू की।

अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया, “यह एक दुर्लभ और असाधारण मामला है। हमने अपने करियर में ऐसा मामला पहली बार देखा है। हम इस स्थिति की गहराई से जांच कर रहे हैं और बच्चे की सेहत पर नजर बनाए हुए हैं।” डॉक्टरों की टीम ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में भ्रूण को सुरक्षित रूप से हटाना जरूरी होता है, ताकि बच्चे की सामान्य वृद्धि हो सके।

“फीटस इन फीटू” तब होता है जब गर्भाधान के शुरुआती चरणों में दो भ्रूण एक साथ विकसित होते हैं, लेकिन उनमें से एक भ्रूण दूसरे भ्रूण के शरीर के अंदर फंस जाता है और उसका विकास अवरुद्ध हो जाता है। यह अविकसित भ्रूण अपने पोषण के लिए दूसरे भ्रूण पर निर्भर करता है और उसे गर्भ के भीतर ही अंदर ही अंदर विकसित होने की कोशिश करता है।

हालांकि यह मामला अत्यंत दुर्लभ है, लेकिन चिकित्सा इतिहास में पहले भी ऐसे कुछ मामले सामने आ चुके हैं। एक ऐसा मामला 2017 में भारत के नागपुर में भी देखा गया था, जहां एक नवजात शिशु के पेट में भी एक अविकसित भ्रूण पाया गया था।

इस अनोखी घटना के सामने आने के बाद माता-पिता भी चिंतित थे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें आश्वस्त किया कि यह स्थिति दुर्लभ होने के बावजूद, इससे बच्चे के स्वस्थ जीवन पर कोई बड़ा खतरा नहीं होता, बशर्ते समय पर सही इलाज किया जाए। माता-पिता ने डॉक्टरों पर पूरा विश्वास जताया और बच्चे की सुरक्षा को लेकर उत्सुकता जाहिर की।

यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि चिकित्सा विज्ञान में कितने अद्भुत और अनोखे मामले सामने आ सकते हैं। “फीटस इन फीटू” जैसी दुर्लभ स्थिति के बावजूद, आज की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां ऐसे मामलों का सफल इलाज करने में सक्षम हैं। डॉक्टरों की टीम इस अनोखे केस को सावधानीपूर्वक संभाल रही है, और उम्मीद की जा रही है कि बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहेगा।

मध्य प्रदेश के सागर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक महिला ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया. डॉक्टरी जांच में पता चला कि उस बच्चे के अंदर भी एक नवजात पल रहा है. हालांकि इसकी जानकारी डॉक्टरों को पहले ही हो गई थी. जब उन्होंने गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड किया था. मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को फीटस इन फीटू कहा जाता है.

रेयर मामला होने की वजह से नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है. शिशु का जीवन बचाने का एकमात्र उपाय सर्जरी है. जिस पर चिकित्सकों में विचार विमर्श चल रहा है. डॉक्टर के अनुसार लाखों महिलाओं में से किसी एक में ऐसा केस देखने को मिलता है. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि करीब 15 दिन पहले केसली निवासी गर्भवती महिला 9वें माह में उनके निजी क्लिनिक पर जांच के लिए आईं थी. जांच के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे नवजात के अंदर भी एक बच्चा की मौजूदगी का संदेह हुआ था.

इस पर महिला को फॉलोअप के लिए मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए बुलाया गया. यहां विशेष जांच में पाया गया कि महिला के गर्भ के अंदर एक और बेबी या टेरिटोमा की मौजूदगी है. महिला को मेडिकल कॉलेज में ही प्रसव कराने की सलाह दी गई थी. चूंकि उसे आशा कार्यकर्ता लेकर आई थी, इसलिए वह वापस केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गईं. यहां महिला का सामान्य प्रसव हुआ.

डॉ. पीपी सिंह के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में यह पहला केस देखा है. चिकित्सा इतिहास में इस तरह के केस काफी दुर्लभ हैं. 5 लाख मामलों में इस तरह का 1 केस सामने आता है. हालांकि अब तक दुनिया में इस तरह के 200 केस ही रिपोर्ट हुए हैं, जो लिटरेचर में ऑनलाइन अवेलेबल हैं. यह प्रेग्नेंट लेडी हमारे पास आठवें नौवें महीने में आई थी.

बच्चे के अल्ट्रासाउंड करने के बाद हमने पाया कि बच्चे के अंदर पेट में गांठ दिख रही थी. जिसमें कैल्शियम जमा हुआ लग रहा था लेकिन जब हमने उसमें डॉपलर करके देखा तो खून आने लगा था. जब ऐसा होता है तो संभावनाओं में सबसे पहले फिटस और फीटू करके कंडीशन होती है. उसमें की बच्चे के अंदर बच्चा पल रहा होता है.  

पहली संभावना उसकी लग रही थी क्योंकि उसके डीडी में एक स्ट्रांग डीडी होती है जो मैच्योर टेराटोमा होता है जो एक तरह का टयूमर होता है. इसमें कैली फिकेशन के पीछे जो शैडो हो जाती है, तो उसको क्लियर करने के लिए और हमने देखा, लेकिन उसमें दो संभावनाएं बनी एक तो बच्चे के अंदर बच्चा हो सकता है दूसरा ट्यूमर होने का अंदेशा था.  इसके बाद नार्मल डिलीवरी हुई बेबी हुई. मासूम की सीटी स्कैन की रिपोर्ट आई है. लेकिन इसमें वह शैडो नहीं दिखाई दी जो पहले सोनोग्राफी में दिख रही थी. रिलेटिवली ऑर्गेनाइज्ड कैलशिफिकेशन जो दिख रहा था वह बच्चा होने की संभावना ज्यादा बताता है. (aajtak.in)

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